For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आतंक - पंकज त्रिवेदी

वो ख़ूबसूरती नहीं है उनमें 

काली अंधेरी रात सी चमड़ी

जैसे अमावस की रात मुखरित

काली नदी की तरह बहाव है

उन्माद भी उनमें, आग भी 

सीसम की लकड़ी सी चमक भी

मजबूरी से कसमसाती हुई

मर नहीं पाती उनके भोगने तक 

 

ज़िंदगीभर खूबसूरती खोजती

आँखों में चकाचौंध करने वाला

सफ़ेद घोडा दौड़ता है ताकत से

चने खाता तो मानते, जिस्म खाता है

भाता है केवल रूह छोड़कर सबकुछ

 

जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर खड़े

लम्बे-ऊंचे डरावने साये पैदा करते हुए

उन लम्बे पेड़ों के बीच से निकलती है

किरणे जो ले आती है आतंकीयो की

मन:स्थिति के उजाले को अलगाव सी

 

बच्चों की मासूमियत पर सवार होकर

महिलाओं की जाँघों से निकलती आह को

रूंधती हुई इंसानियत निचौड़कर बहती है

लाल रंग की नदियाँ रेगिस्तान की तरस

मजहब के ढिंढोरे पीट-पीटकर हरा रही है

सत्ता, महासत्ताओं के गुमान को... !

 * * *

31-March-2015 (मौलिक एवं अप्रकाशित)     

Views: 743

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Trivedi on April 2, 2015 at 12:37pm

प्रिय सौरभ जी, 

आपके व्यापक विचारों से मेरी रचना को पंख लग गए... कुछ घटनाएँ दिल को झकझोर देती है... यही हुआ मेरे साथ भी...

आपका ह्रदय से आभारी हूँ  

Comment by Pankaj Trivedi on April 2, 2015 at 12:35pm

मित्र श्री मिथिलेश वामनकर जी,  आपका बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 2, 2015 at 9:28am

काफी उच्चस्तरीय कविता और मर्मान्तक पीड़ा को उभारती रचना आदरणीय पंकज त्रिवेदी जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 2, 2015 at 12:02am

राष्ट्रवाद की क्लिष्टतम व्याख्या भी कश्मीर की घाटी में चल रहे विद्रूपकारी प्रयासों को संतुष्ट नहीं कर सकती. आतंक के पालकों के दैहिक बिम्बों को जिस गहराई से महसूसा गया है वे एकांगी मनोदशा को गहरे उभारती है. सामाजिकता का पतन, सम्बन्धों का उथलापन रचना के अंतिम भाग में खुलकर स्थान पाता हुआ है.
इस रचनाके लिए हृदय से बधाई आ. पंकजभाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 1, 2015 at 11:39pm

आदरणीय पंकज जी इस सशक्त रचना पर हार्दिक बधाई निवेदित है, सादर 

Comment by Pankaj Trivedi on April 1, 2015 at 9:07am

श्री जितेन्द्र जी, आपका धन्यवाद

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 1, 2015 at 8:55am

सुंदर मार्मिक प्रस्तुति पर बधाई ,आदरणीय पंकज जी.

Comment by Pankaj Trivedi on April 1, 2015 at 7:03am

Shyam Mathpal ji,  Ram Ashery,  Sushil Sama ji, Dr. Vijai Shanker ji, Hari Prakash Dube ji, 

आप सभी सम्माननीय दोस्तों का मैं आभारी हूँ 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 31, 2015 at 11:29pm

आदरणीय पंकज त्रिवेदी जी, इस सुन्दर मर्मस्पर्शी रचना पर हार्दिक बधाई ! सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 31, 2015 at 9:28pm
" पीटकर हरा रही है
सत्ता, महासत्ताओं के गुमान को.. "
आतंकी अंधेर का रौशन चित्रण , बहुत खूब प्रस्तुति, बधाई , आदरणीय पंकज त्रिवेदी जी , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
15 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
Monday
Shabla Arora updated their profile
Monday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service