For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल

2122- 2122- 212

ख़्वाब से डरने लगा हूँ इन दिनों

नींद से मैं भागता हूँ इन दिनों

 

धड़कनें हैं तेज़ राहें पुरख़तर

मैं सँभलकर चल रहा हूँ इन दिनों

 

वुसअते शब बेबसी तन्हाइयाँ

इन अज़ाबों से घिरा हूँ इन दिनों

 

मुझपे भारी है हर इक लम्हा बहुत

फिक्र की तह में दबा हूँ इन दिनों

 

आइना हटकर परे मुझसे कहे

पत्थरों सा हो गया हूँ इन दिनों

 

कोई बतलाये मुझे मैं कौन हूँ

पहले क्या था और क्या हूँ इन दिनों

 

बदहवासी बेख़याली में “शकूर”

राहे फ़र्दा ढूँढता हूँ इन दिनों

 

-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 749

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 13, 2015 at 9:03am

आदरणीय हरिप्रकाश दूबे सर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिये आपका हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 13, 2015 at 9:02am

आदरणीय श्याम मठपाल जी आपका हार्दिक आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 13, 2015 at 9:02am

आदरणीय लक्ष्मणजी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by maharshi tripathi on March 12, 2015 at 11:54pm

आ. शिज्जू जी कृपया कुछ शब्दों के अर्थ बताएं  ,,जिससे मुझे समझने में आसानी हो ,,,जैसे वुसअते,अज़ाबों ,पुरख़तर,,,,,बाकी पंक्तियाँ कमाल  की हैं ,,बधाई |

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 12, 2015 at 4:53pm
ख़्वाब से डरने लगा हूँ इन दिनों
नींद से मैं भागता हूँ इन दिनों
बहुत खूब , सुन्दर प्रस्तुति, आदरणीय शिज्जु शकूर जी , बधाई, सादर।
Comment by Shyam Narain Verma on March 12, 2015 at 4:27pm
सुन्दर ग़ज़ल हेतु बधाई
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 12, 2015 at 4:27pm

आइना हटकर परे मुझसे कहे

पत्थरों सा हो गया हूँ इन दिनों

कोई बतलाये मुझे मैं कौन हूँ

पहले क्या था और क्या हूँ इन दिनों

 सुन्दर ग़ज़ल पर हार्दिक बधाईयाँ! आ० शिज्जू सर!

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 12, 2015 at 3:59pm
अच्छे अश’आर हुए हैं शिज्जू जी, दाद कुबूल कीजिए
Comment by Hari Prakash Dubey on March 12, 2015 at 2:49pm

आदरणीय शिज्जु "शकूर" सर लाजवाब ग़ज़ल है हार्दिक बधाई ! सादर
ख़्वाब से डरने लगा हूँ इन दिनों
नींद से मैं भागता हूँ इन दिनों.....वाह
आइना हटकर परे मुझसे कहे
पत्थरों सा हो गया हूँ इन दिनों ...बहुत खूब
कोई बतलाये मुझे मैं कौन हूँ
पहले क्या था और क्या हूँ इन दिनों...लाजवाब

Comment by Shyam Mathpal on March 12, 2015 at 2:27pm

Aadarniya shijuu Shakur Ji,

Sundar Gazal ki liye bahut badhai. Aabhar.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service