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सर्वप्रथम विलम्ब हेतु मैं आप सबसे हाथ जोड़कर क्षमा माँगता हूँ कि कुछ व्यस्तता कुछ नेट की समस्या के चलते मैं समय पर आ नहीं पाया। मेरी रचना को जो सम्मान आपने दिया वो मुझे भावविभोर कर गया आप सुधिजनों के स्नेह से लगातार अच्छा करने की प्रेरणा मिलती है। मैं आप सभी का हृदयतल से आभार व्यक्त करता हूँ और अनुरोध करता हूँ इस खाकसार पर आप सब की नज़रे इनायत रहे, ऐसा ही स्नेह मिलता रहे।
बहुत ही खूबसूरत गजल आदरणीय शिज्जू सर जी. कमाल के अशआर कहें है आपने
हर एक शय में मुहब्बत के किस्से बिखरे हैं
महल नहीं न सही एक मक़बरा ही सही........यह शेर दिल को छो गया, तहे दिल से बधाई लीजियेगा
बड़े ख़ूबसूरत अश’आर हुए हैं शिज्जू जी, ख़ासकर ये
मेरी ग़ज़ल में उतर आती है वो आहिस्ता
मेरा हयात से बस इतना वास्ता ही सही
ढेर सारी दाद कुबूल कीजिए
आदरणीय शिज्जु साहब इस सुन्दर ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई आपको , सादर !
हर एक शय में मुहब्बत के किस्से बिखरे हैं
महल नहीं न सही एक मक़बरा ही सही........वाह
मेरा खयाले मसर्रत में दिन ग़ुज़रता है
कुछ और देर यूँ ख्वाबों का सिलसिला ही सही.....बहुत सुन्दर
आदरणीय शिज्जु भाई , एक से बढ़ के एक शे र हुये हैं , क्या बात है ! हर एक शे र के लिये मुबारकबादें कुबूल करें ।
मेरी ग़ज़ल में उतर आती है वो आहिस्ता
मेरा हयात से बस इतना वास्ता ही सही
मेरा खयाले मसर्रत में दिन ग़ुज़रता है ........ ( मिरा तो ख़्वाबे मसर्रत में दिन गुज़रता है -- सोच के देखियेगा )
कुछ और देर यूँ ख्वाबों का सिलसिला ही सही --- लाजवाब !! हार्दिक बधाइयाँ ॥
आदरणीय विजयशंकर सर ..मेरी ग़ज़ल में उतर आती .....शेर काश मेरी ग़ज़ल से निकालता ,,कोई बात नहीं बड़े भाई की बधाई यह अनुज स्वीकार कर ही सकता है ...शिज्जु भाईसाहब की तरफ स आपका हार्दिक आभार |(ज़रूरी नहीं कि हर अच्छा शेर नाचीज़ का हो .....हा..हा.. हा..सादर )
आदरणीय शिज्जू जी ,
शानदार गज़ल कही. हर अश'आर उम्दा ...
ग़ज़ल में डूब के खुद को भुला दिया हमने
चलो कुछ और नहीं तो यही नशा ही सही.....................वाह !!!!!!! खास दाद कबूल करें.............
मेरी ग़ज़ल में उतर आती है वो आहिस्ता
मेरा हयात से बस इतना वास्ता ही सही
ग़ज़ल में डूब के खुद को भुला दिया हमने
चलो कुछ और नहीं तो यही नशा ही सही
आदरणीय शिज्जु सर ,बेहद उम्दा ग़ज़ल हुई है |शेर दर शेर ढेरों दाद कबूल फरमावें |सादर अभिनन्दन |
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