For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

122 122 122 122

ये अकुलाहटें मेरे मन की कहूँ क्या
तड़प बेकरारी नयन की कहूँ क्या

उठे है धुआँ सा दिलो जाँ से मेरे
जली है ज़मीं भी चमन की कहूँ क्या

चला जा रहा हूँ सफ़र में मैं पैहम
नहीं इंतिहा है थकन की कहूँ क्या

तरसता रहा उम्र भर फूल को वो
ये आराइशें इस कफ़न की कहूँ क्या

मुझे लूटकर घर तलक छोडा़ उसने
वफ़ा देखिये राहजन की कहूँ क्या

निशां बह गया वक्त की मौज के साथ
अदा रह गई बांकपन की कहूँ क्या

-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 615

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 1, 2015 at 5:26pm

आदरणीया महिमा जी, आदरणीय जवाहर लालजी, आदरणीया राजेश दीदी आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया जो आपने मेरी इस रचना को सराहा


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 26, 2015 at 7:11pm

चला जा रहा हूँ सफ़र में मैं पैहम
नहीं इंतिहा है थकन की कहूँ क्या-----लाजबाब 

तरसता रहा उम्र भर फूल को वो
ये आराइशें इस कफ़न की कहूँ क्या---मार्मिक उम्दा 

मुझे लूटकर घर तलक छोडा़ उसने
वफ़ा देखिये राहजन की कहूँ क्या-----क्या बात 

बहुत सुन्दर ग़ज़ल शिज्जू भैय्या हार्दिक बधाई 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on February 26, 2015 at 7:09pm

गजब शब्द संयोजन और भाव भी प्रशंसनीय!

Comment by MAHIMA SHREE on February 26, 2015 at 9:57am

तरसता रहा उम्र भर फूल को वो
ये आराइशें इस कफ़न की कहूँ क्या

मुझे लूटकर घर तलक छोडा़ उसने
वफ़ा देखिये राहजन की कहूँ क्या......लाजबाव .. हर शेर एक से बढ़कर एक है..आपको हार्दिक बधाइयाँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 25, 2015 at 6:02pm
रचना की सराहना के लिए आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 25, 2015 at 5:17pm

आदरणीय शिज्जु भाई , बेमिसाल ग़ज़ल कही है , हर शे र के लिये आपकोअ हार्दिक बधाइयाँ ॥

तरसता रहा उम्र भर फूल को वो
ये आराइशें इस कफ़न की कहूँ क्या  -- एक दुखद सच्चाई !! क्या बात है । हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 25, 2015 at 4:57pm

आ० शिज्जू जी

आपकी गजल हो और दिल वाह वाह न करे यह कैसे हो सकता है i आपको एक और अच्छी  गजल पर होली की बधाई  i  सादर i

Comment by Pari M Shlok on February 25, 2015 at 2:46pm
चला जा रहा हूँ सफ़र में मैं पैहम
नहीं इंतिहा है थकन की कहूँ क्या
बहुत सुन्दर ग़ज़ल आपको बधाई
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 25, 2015 at 1:37pm

सुन्दर गज़ल!

Comment by Hari Prakash Dubey on February 25, 2015 at 9:46am

आदरणीय शिज्जू सर सुन्दर प्रस्तुति हैं....

तरसता रहा उम्र भर फूल को वो
ये आराइशें इस कफ़न की कहूँ क्या ...........वाह ...हार्दिक बधाई !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
yesterday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service