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नया साल आया

बीते वर्षों में जो भी मिला है मुझे
नहीं उससे कोई गिला है मुझे
नयन नीर मिले कुछ पीर मिले
दिल के राजा हैं ऐसे फ़कीर मिले
इन्हें राजा बना दें नया साल आया
खुशियाँ बिछा दें नया साल आया|

टुकड़े-टुकड़े किये जिनके सपनों को मैंने
खंडित किया जिनके अपनों को मैंने
व्यतित वर्ष में जिनका भी दिल दुखाया
हँसता हुआ मैंने जो महफ़िल जलाया
हँसी महफ़िल बना दें नया साल आया
खुशियाँ बिछा दें नया साल आया |

इस नव वर्ष में बदल जायेंगे हम
गिरते -गिरते अब संभल जायेंगे हम
इमानदारी का पाठ हम पढ़ाएंगे
हर गरीबों के ठाठ हम बढ़ाएंगे
हर एब को मिटा दें नया साल आया
खुशियाँ बिछा दें नया साल आया |

शत्रुओं को मित्र हम बनायेंगे
एक उत्तम चरित्र हम बनायेंगे
अपवित्र को पवित्र हम बनायेंगे
खुद का अमिट चित्र हम बनायेंगे
भ्रस्टाचार मिटा दें नया साल आया
खुशियाँ बिछा दें नया साल आया ||

**********************************

"मौलिक व अप्रकाशित "


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Comment by maharshi tripathi on January 5, 2015 at 5:52pm

धन्यवाद् आ. भंडारी जी |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 5, 2015 at 10:42am

नये साल मे लिये शुभ संकल्पों के लिये बधाई , आदरणीय ।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 4, 2015 at 7:47pm

सुन्दर अभिव्यक्ति  i सस्नेह i

Comment by maharshi tripathi on January 4, 2015 at 4:22pm
आप सभी स्नेहीजनो को रचना पसंद आई,,,हार्दिक आभार |

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 4, 2015 at 4:17pm

भ्रष्टाचार मिटा दें नया साल आया 
खुशियाँ बिछा दें नया साल आया ||

नव वर्ष पर सुन्दर अभिव्यक्ति, बधाई महर्षि त्रिपाठी जी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 4, 2015 at 10:17am

नये साल की इस कविता के लिये आपको बधाई

Comment by Hari Prakash Dubey on January 3, 2015 at 8:14pm

 सुन्दर भावनायें , सुन्दर रचना ..बधाई महर्षि त्रिपाठी जी !

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