For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तरही ग़ज़ल -- मोगरे के फूल पर .....

ग़ज़ल

बुजदिलों के शह्र में मर्दानगी सोई हुई..
जुल्मतों की शब मुसलसल, रोशनी सोई हुई ।

बच्चियों पर बढ़ रहे अपराध सीना तानकर ...
हर किसी की आँखों में शर्मिंदगी सोई हुई ।

शह्र के फुटपाथ पर रातों का मंजर खौफनाक .....
मुफलिसी की ओढ़ चादर जिन्दगी सोई हुई ।

मुज़रिमों का हौसला अब दिन-ब-दिन बढ़ता गया ....
देश के सब मुन्सिफ़ों की लेखनी सोई हुई ।

चाँद सूरज फूल कलियाँ इन पे मैं लिक्खूँ ग़ज़ल ? .....
एक मुद्दत से मिरी तो शायरी सोई हुई ।

तरही मिसरा ये रहा जिस पर मेरे अशआर थे
" मोगरे के फूल पर थी चाँदनी सोई हुई "

-- दिनेश कुमार ।

( मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 1038

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 1, 2015 at 8:22am

आदरणीय गिरिराज सर इस शानदार ग़ज़ल के लिये आपको बहुत बहुत बधाई

Comment by दिनेश कुमार on December 31, 2014 at 6:33am
शुक्रिया खुर्शीद साहब, सुशील जी,आशुतोष जी और हरिप्रकाश जी रचना को पढ़ कर हौसला अफजाइ के लिए आप सभी आ. साथियों का तहेदिल शुक्रिया।
Comment by Hari Prakash Dubey on December 30, 2014 at 11:03pm

 मोगरे के फूल पर थी चाँदनी सोई हुई.......सुन्दर  रचना पर हार्दिक बधाई  आदरणीय दिनेश जी !

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 30, 2014 at 1:52pm

शह्र के फुटपाथ पर रातों का मंजर खौफनाक .....
मुफलिसी की ओढ़ चादर जिन्दगी सोई हुई ।..बेहतरीन ..इस शादार ग़ज़ल के लियेताहे दिल बधाई सादर 

Comment by Sushil Sarna on December 30, 2014 at 11:27am

शह्र के फुटपाथ पर रातों का मंजर खौफनाक .....
मुफलिसी की ओढ़ चादर जिन्दगी सोई हुई ।

वाह दिल को चीरते अशआर … बहुत खूब .... शानदार ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय।

Comment by khursheed khairadi on December 30, 2014 at 10:26am

चाँद सूरज फूल कलियाँ इन पे मैं लिक्खूँ ग़ज़ल ? .....
एक मुद्दत से मिरी तो शायरी सोई हुई ।

आदरणीय दिनेश साहब ,खुबसूरत ग़ज़ल हुई है |सादर अभिनन्दन |

Comment by दिनेश कुमार on December 30, 2014 at 9:03am
शुक्रिया मिथिलेश भाई, शकूर साहब, सौरभ सर जी,गिरिराज भंडारी सर जी, उमेश कटारा जी, रचना को पढ़ने और प्रोत्साहन देने के लिए आपका आभार। अनुराग जी, कोशिश करता हूँ मतला सुधारने की।
Comment by umesh katara on December 30, 2014 at 8:52am

चाँद सूरज फूल कलियाँ इन पे मैं लिक्खूँ ग़ज़ल ? .....
एक मुद्दत से मिरी तो शायरी सोई हुई । ..................वाह सर वाह हरिक शेर बेहतरीन है


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 30, 2014 at 7:38am

क्या बात है , आदरणीय दिनेश भाई , लाजवाब गज़ल कही है , दिली मुबारक बाद कुबूल करें ।

शह्र के फुटपाथ पर रातों का मंजर खौफनाक .....
मुफलिसी की ओढ़ चादर जिन्दगी सोई हुई ।
चाँद सूरज फूल कलियाँ इन पे मैं लिक्खूँ ग़ज़ल ? .....
एक मुद्दत से मिरी तो शायरी सोई हुई ।       -- इन अश आर के लिये दिल से बधाइयाँ ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 30, 2014 at 12:44am

तरही मिसरा ये रहा जिस पर मेरे अशआर थे
" मोगरे के फूल पर थी चाँदनी सोई हुई ".. . 

ओय होय..  :-)))

बढ़िया ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाइयाँ. ..  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
17 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service