ग़ज़ल श्री गिरिराज भंडारी जी की नज्र ...
गुज़ारिश थी, कि तुम ठोकर न खाना अब
चलो दिल ने, कहा इतना तो माना अब
न काम आया है उनका मुस्कुराना अब
यकीनन चाल तो थी कातिलाना .... अब ?
ये दिल तो उन पे अब फिसला के तब फिसला
ये तय जानो, नहीं इसका ठिकाना अब
जो दानिशवर थे सब नादान ठहरे हैं
ये किसका दर है, तुमको क्या बताना अब
ये मौसम खूबसूरत था ये माना पर
वो आये तो हुआ है शायराना अब
तुम्हारा मुन्तजिर इस तरह जिन्दा है
ये दिल है बस लहू का कारखाना अब
ग़ज़ल की बादशाहत छोड़ दी हमने
ये हमसे चाहता क्या है जमाना अब
१२२२ १२२२ १२२२
मौलिक व अप्रकाशित
(आज महीनों बाद OBO के दर पर आया, और गिरिराज भंडारी जी की एक ग़ज़ल पर कुछ कहते-कहते, जेह्न में उसी जमीन पर कुछ अशआर तैयार हो गए.... ख्वाहिश जगी कि ग़ज़ल मुकम्मल भी हो सकती है ..यूं तो फिल्बदी कहने की आदत नहीं है लेकिन करीब 7-8 महीने बाद कोई मुकम्मल ग़ज़ल हुई है तो अब जो कुछ तैयार हुआ है आपके हवाले यहीं छोड़े जा रहा हूँ ... )
Comment
आदरणीय वीनस जी सुन्दर रचना , बेहतरीन गजल बधाई आपको !
तुम्हारा मुन्तजिर इस तरह जिन्दा है
ये दिल है बस लहू का कारखाना अब
बहुत शानदार ग़ज़ल आदरणीय
ग़ज़ल को इतनी मुहब्बत नवाज़ने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
तुम्हारा मुन्तजिर इस तरह जिन्दा है
ये दिल है बस लहू का कारखाना अब..................wah wah wah wah
आदरणीय वीनस सर इस बेहतरीन और उम्दा ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई ... एक एक अशआर उम्दा है .क्या खूब कहा है-
गुज़ारिश थी, कि तुम ठोकर न खाना अब
चलो दिल ने, कहा इतना तो माना अब........... बेहतरीन मतला
न काम आया है उनका मुस्कुराना अब
यकीनन चाल तो थी कातिलाना .... अब ? .....अच्छा अशआर
ये दिल तो उन पे अब फिसला के तब फिसला
ये तय जानो, नहीं इसका ठिकाना अब ..................उम्दा शेर खूब कहा है ...दिल .....अब फिसला के तब फिसला
जो दानिशवर थे सब नादान ठहरे हैं
ये किसका दर है, तुमको क्या बताना अब.... बेहतरीन अशआर
ये मौसम खूबसूरत था ये माना पर
वो आये तो हुआ है शायराना अब .... गज़ब का शेर वाह्ह्ह्ह
तुम्हारा मुन्तजिर इस तरह जिन्दा है
ये दिल है बस लहू का कारखाना अब.... वाह्ह्ह्हह्ह्ह
ग़ज़ल की बादशाहत छोड़ दी हमने
ये हमसे चाहता क्या है जमाना अब ........ कमाल का अशआर इस शेर पर लाखों दाद कुबूल कीजिये ... सादर
बहुत खूब ग़ज़ल हुई है बधाई
ग़ज़ल की बादशाहत छोड़ दी हमने
ये हमसे चाहता क्या है जमाना अब
आदरणीय वीनस जी ढेरों दाद कबूल फरमावें |सादर
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