For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तीन दोहे ...............डॉ० प्राची

प्रेम अगन करती सदा, चेतन का विस्तार

रोम-रोम तप भाव-तन, धरे नवल शृंगार

 

मैं-तुम भेद-विभेद हैं, मायावी मद भ्राम

द्वैत विलित अद्वैत सत, चिदानन्द अविराम

 

सूक्ष्म धार ले स्थूल तन, पराश्रव्य हो श्रव्य

गुह्य सहज प्रत्यक्ष हो, सधें नियत मंतव्य 

डॉ० प्राची 

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 837

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 17, 2014 at 8:25pm

बहुत सुन्दर सार्थक दोहे हार्दिक बधाई ,बहुत दिनों बाद आपकी रचना आई ओबिओ पर बहुत  ख़ुशी लाई .

Comment by somesh kumar on October 17, 2014 at 8:18pm

सुंदर अर्थपूर्ण दोहे,एक कोशिश आप के दोहों को अपने शब्दों में कहने की 

चेतना जल उठी प्रेम की आग से 

मैं निखरने लगी तेरे अनुराग से 

मैं-तुमसे पृथक कहीं भी नही 

आत्मा-जिस्म के बिना कुछ नहीं 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 17, 2014 at 7:46pm

आ० डॉ० गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी 

दोहों में सन्निहित भावार्थ को आपकी स्वीकार्यता मिली आपकी आभारी हूँ

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 17, 2014 at 7:42pm

आ० डॉ० विजय शंकर जी 

दोहों को आपके पाठक नें स्वीकार किया और आपसे सराहना मिली 

इस उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 17, 2014 at 7:41pm

आ० श्याम नारायण वर्मा जी 

दोहों पर आपकी सराहना के लिए धन्यवाद 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 17, 2014 at 11:47am

आदरणीया प्राची जी

बहुत दिनों बाद आपकी रचना से साक्षात्कार हुआ  i

प्रेमाग्नि का संबल पाकर भावरूपी शरीर  नया  शृंगार करती है  i द्वैत-अद्वैत जब  मिल जाते है तभी अविराम सच्चिदानंद की प्राप्ति होती है i भौतिक शरीर जब सूक्ष्म की ओर बढ़ता है तब श्रव्यातीत श्रव्य हो जाता है i अनाहत नाद सुनायी पड़ता है और गोपनीयता तिरोहित हो जाती है  i  दोहे है या अध्यात्म की पिटारी  i  साधुवाद i

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 17, 2014 at 10:54am

 सधें नियत मंतव्य "बहुत खूब , तीनों ही दोहे बहुत सुन्दर हैं , बधाई आदर डॉo प्राची सिंह। 

Comment by Shyam Narain Verma on October 17, 2014 at 10:08am

बहुत सुंदर दोहें हार्दिक बधाई स्वीकार करें...

 सादर..............

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
2 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
11 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service