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पलकों के महके उपवन में
गीतों के सारे सरगम में
हर उलझन में हर सुलझन में
कोई और नहीं तुम ही थे

कुछ बंद किताबों के पन्ने
फिर फिर से जैसे खुल जाए
आखर आखर बन सरगम ज्यो
प्राणों में आकर घुल जाए
नयनो की मोहक चितवन में
कोई और नहीं तुम ही थे

महकी महकी सी साँसों में
तेरी मोहक खुशबू बस जाए
हरपल पलछिन रात और दिन
यादे तेरी सज सज जाएँ
सपनो के खिलते गुलशन में
कोई और नहीं तुम ही थे

श्वाँस श्वाँस मधुरिम स्पंदन ले
मन चातक कुछ भी न कह पाए
नयनो की मधुरिम भाषा सुन
विस्मित अधर मूक से रह जाए
जो तस्वीर बसी मन दर्पण में
कोई और नहीं तुम ही थे
------प्रियंका े

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on September 18, 2014 at 11:31pm

सुमधुर भावों की यह रचना तृप्ति दे गई, बहुत बधाई प्रियंका जी.

Comment by vijay nikore on September 18, 2014 at 11:07am

मधुर भाव से भरपूर रचना। हार्दिक बधाई, आदरणीया प्रियंका जी।

Comment by khursheed khairadi on September 18, 2014 at 9:52am

कुछ बंद किताबों के पन्ने
फिर फिर से जैसे खुल जाए
आखर आखर बन सरगम ज्यो
प्राणों में आकर घुल जाए
नयनो की मोहक चितवन में
कोई और नहीं तुम ही थे

आदरणीया प्रियंका जी गीत के सभी बंध सुन्दर हैं किंतु यह बंध काफ़ी मनमोहक लगा |सादर अभिनन्दन 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 18, 2014 at 7:53am

आदरणीया प्रियंका जी , बहुत सुन्दर गीत रचना हुई है , बहुत बहुत बधाई | आदरणीया मात्राएँ एक सी न होने से प्रवाह में बाधा ज़रूर है |

Comment by seemahari sharma on September 17, 2014 at 5:54pm
बहुत सुंदर गीत
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 17, 2014 at 2:10pm
भावनाओं की कोमल अनुभूतियों की किसी के सुखद एहसास के साथ इतनी अच्छी प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाइयां आदरणीय प्रियंका पांडे जी .
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 17, 2014 at 12:04pm

सुंदर कोमल भाव से पूर्ण पंक्तियाँ, बधाई स्वीकारें आदरणीया प्रियंका जी

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 17, 2014 at 11:46am

मानो दूर से कोई संगीत की लहर आई हो  i ऐसा है मधर गीत i  आदरणीया .

Comment by harivallabh sharma on September 17, 2014 at 11:10am

और कोई नहीं तुम ही थे,...बहुत सुन्दर भावप्रवण प्रस्तुति बधाई आदरणीया ...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 17, 2014 at 10:51am

आदरणीय प्रियंका जी इस सरस और मधुर रचना के लिए हार्दिक बधाई .

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