For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नाम चाहे हो जुदा सब का है मालिक इक ही

समस्त गुरुओं को सादर प्रणाम के साथ 

2122     2122  2122     22/112 

रास्ता रब का हमें जिसने दिखाया यारों 

कह गुरु उसको है  सर हमने झुकाया यारों 

ज्ञान दीपक से किया जिसने जहाँ को रोशन 

फन भी जीने का हमें उसने सिखाया यारों 

भेद मजहब में कभी उसने किया ही है नहीं 

पाठ उल्फत का ही कौमों को पढ़ाया यारों 

नाम चाहे हो जुदा सब का है मालिक इक ही 

गूढ़ बातों को सहज उसने बताया यारों 

हाथ अन्दर से लगाकर चोट  बाहर से करे 

कच्ची मिट्टी को घड़ा ऐसे  बनाया यारों 

डगमगाए थे कदम जब भी मेरे तूफां में 

हौसला देके गुरु ने ही चलाया यारों 

जिन्दगी हम को लगी जब भी ग़मों में डूबी 

दीप उम्मीदों को अंतस में जलाया यारों 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 576

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 7, 2014 at 3:21pm

आदरणीय गोपाल सर ...आदरणीय गिरिराज भाईसाब ..आप सब का स्नेह और मार्गदशन मुझे सतत मिलता रहे ऐसी कामना करते हुए ...सादर धन्यवाद ..सादर प्रणाम 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 7, 2014 at 3:19pm

आदरणीय लक्षमण जी ...रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 7, 2014 at 3:18pm

आदरणीया महिमा जी ..आप सब की प्रेरणा से ही सतत लिखने की प्रेरणा मिलती है ..हौसला अफजाई के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 7, 2014 at 3:17pm

पवन जी रचना पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद ..सादर 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 6, 2014 at 11:13am

आदरणीय भाई, आशुतोष जी बेहतरीन गजल हुई है हार्दिक बधाई प्रेषित है ।

Comment by MAHIMA SHREE on September 5, 2014 at 4:21pm

जिन्दगी हम को लगी जब भी ग़मों में डूबी 

दीप उम्मीदों को अंतस में जलाया यारों ... बहुत खूब हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 5, 2014 at 10:45am

बहुत सुन्दर , समयानुकूल गजल कही है , आदरणीय आशुतोष भाई , दिली मुबारकबाद |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 5, 2014 at 9:34am

शिक्षक दिवस को ऐसी ही गजल की तलाश थी  i

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 4, 2014 at 3:52pm

bahut khoob ..waah 

Comment by Pawan Kumar on September 4, 2014 at 3:30pm

राम कृष्ण से को बड़ा, उनहु तो गुरु कीन्ह।
तीन लोक के वे धनी, गुरु आगे आधीन।
हरि सेवा युग चार है, गुरु सेवा पल एक।
ताके पटतर ना तुलै, सन्तन किया विवेक।

बहुत सुन्दर रचना.. बधाई सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service