For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब बूंदें रिमझिम गिरती हैं

जब बूंदें रिमझिम गिरती हैं
कुछ स्वरलहरियां सी बुनती हैं
हरियाली के इस मौसम में भी
बस फीका सा रह जाता है मन
भीगा भीगा सा ये मौसम.....
भीगी सी वादी और समां
प्यासी धरती हो दृवित चले
पर प्यासा सा रह जाता है मन
रिमझिम बारिश में घंटों रहना
राहों में बस यूं ही संग संग चलना
तेरी उन सारी बातों को

फिर फिर से दोहराता है मन.
मन तुमसे मिलने को तरसे
बूंदों संग आंखें कितना बरसें
इन दोनों की इस बारिश मे
बस रीता सा रह जाता है मन.

.

.......प्रियंका

"मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 469

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Harash Mahajan on July 23, 2015 at 3:09pm

प्रियंका जी बहुत ही सुन्दर  भाव ...आपके गीतों का उपवन में शब्दों की अच्छी रिमझिम है..बधाई !!

Comment by vijay nikore on August 11, 2014 at 1:22pm

अति सुन्दर भावनाएँ । बधाई।

Comment by Priyanka Pandey on August 11, 2014 at 7:48am

समस्त मित्रों का हर्दय से आभार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 10, 2014 at 1:54am

भावुक शाब्दिकता का अपना जगत होता है. 

सादर

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 8, 2014 at 11:56pm

रिमझिम को व्यक्त करना बहुत अच्छा

Comment by Neeraj Nishchal on August 8, 2014 at 11:17pm
बहुत सुन्दर प्रियंका जी |
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 8, 2014 at 4:14pm

प्रियंका जी

आपकी मृदु भावनाओ का स्वागत -- i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
8 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 175 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है |इस बार का…See More
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service