For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रावण को तू राम बता

२२/२२/२२/२ 
.
रावण को तू राम बता,
और सहाफ़त काम बता. ...सहाफ़त-पत्रकारिता 
.

बिकने को तैयार हैं सब,
तू भी अपने दाम बता.
.

सीख ज़माने वाला फ़न,
धूप कड़ी हो, शाम बता. 
.

झूठ भी सच हो जाएगा,
बस तू सुब्हो शाम बता.   
.

चाहे काट हमारा सर,
पर पहले इल्ज़ाम बता.    

.

क़ातिल ख़ुद मर जाएगा,
बस मक़्तूल का नाम बता. 
.
निलेश "नूर"
मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 762

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on August 9, 2014 at 12:45pm

कंप्यूटर ख़राब होने के चलते उपलब्ध नहीं हो सका .. क्षमा प्रार्थी हूँ ..
सभी की सराहना के लिए धन्यवाद. आ. सौरभ  सर.. याद रखते रखते भी चूक ही जाता हूँ कई बार..मूल प्रति में सुधार कर रहा हूँ. 
सादर  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 1, 2014 at 6:33pm

किस-किस शेर पर दाद दी जाय ? पूरी ग़ज़ल सीधी और सधी हुई है. दिल से बधाई.

झूठ भी सच हो जाएगा,
बस तू सुब्हो शाम बता..  .. .इस शेर ने तो हर तरह से वो कुछ कहा है, जो समझ में आ रहा है.... .  हर जगह. .. ;-)

हाँ, तकाबुले रदीफ़ पर कुछ पारखी आँखें असहज हो सकती हैं.

शुभ-शुभ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 30, 2014 at 10:59am

छोटी बहर पर बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखी है आपने नीलेश जी मजा आ गया पढ़ के 

बिकने को तैयार हैं सब, -----बिकने को तैयार सभी ---करें तो ज्यादा अच्छा लगेगा 
तू भी अपने दाम बता.

सीख ज़माने वाला फ़न,
धूप कड़ी हो, शाम बता. ----हाहाहा बहुत सही 
.

झूठ भी सच हो जाएगा,
बस तू सुब्हो शाम बता.   -----जी बार बार रगड़ने से लोहा भी कट जाता है ,झूठ को सुब्हो शाम कहेंगे तो सच मानना ही पड़ेगा :)))

बहुत सुन्दर ग़ज़ल ...दाद कबूलें 
.

Comment by वीनस केसरी on July 29, 2014 at 11:53pm

सीख ज़माने वाला फ़न,
धूप कड़ी हो, शाम बता. 
.

झूठ भी सच हो जाएगा,
बस तू सुब्हो शाम बता.   


वाह क्या कहने ...

Comment by सूबे सिंह सुजान on July 29, 2014 at 11:18pm

वाह वाह , वर्तमान की सच्चाई तो यही है लेकिन इसे बदलने का प्रयास भी तो हो रचनाओं में


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 29, 2014 at 11:07pm

वाह वा !! छोटी बहर में बहुत सुन्दरता से बाते  कहीं है , बधाई इस ग़ज़ल के लिए |

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 29, 2014 at 12:11pm

झूठ भी सच हो जाएगा,
बस तू सुब्हो शाम बता...........बहुत सही कहा, बार-बार कहा झूठ शायद सच के सामान ही हो जाता है

लाजवाब गजल हुई आदरणीय निलेश जी, बधाई स्वीकार करें  
.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 29, 2014 at 11:00am

सुन्दर गजल कुछ व्यंग रूप में | बहुत खूब ! बधाई श्री निलेश नूर जी 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 28, 2014 at 4:59pm

वाह ..आदरणीय नूर जी ..ये तो कमाल की ग़ज़ल है ..हर शेर बेहतरीन ..ताना मारती शानदार ग़ज़ल ..इस रचना के लिए तहे दिल बधाई सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 28, 2014 at 2:38pm
बहुत बढ़िया , हर पंक्ति सुन्दर , स- अर्थ , याद रखने वाली है। अच्छी रचना है , बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"पानी भी अब प्यास से, बन बैठा अनजान।आज गले में फंस गया, जैसे रेगिस्तान।।......वाह ! वाह ! सच है…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सादा शीतल जल पियें, लिम्का कोला छोड़। गर्मी का कुछ है नहीं, इससे अच्छा तोड़।।......सच है शीतल जल से…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर  आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर .....वाह…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तुम हिम को करते तरल, तुम लाते बरसात तुम से हीं गति ले रहीं, मानसून की वात......सूरज की तपन…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहों पर दोहे लिखे, दिया सृजन को मान। रचना की मिथिलेश जी, खूब बढ़ाई शान।। आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत दोहे चित्र के मर्म को छू सके जानकर प्रसन्नता…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई शिज्जु शकूर जी सादर,  प्रस्तुत दोहावली पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आर्ष ऋषि का विशेषण है. कृपया इसका संदर्भ स्पष्ट कीजिएगा. .. जी !  आयुर्वेद में पानी पीने का…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service