For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बात करते गाँव की - लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’

रोज    की   है   बादलों   से   छेड़खानी   आपने
और  गढ़  ली  प्यास  की  कोई  कहानी  आपने

***
चाह  रखते  हो  भगीरथ  सब  कहें  इतिहास में
पर न  खुद से  एक  दरिया  भी  बहानी  आपने

***
बात  करते  गाँव  की  पर कब  उसे  तरजीह दी
गाँव  को  तम  दे   सजाई   राजधानी    आपने

***
आपको दरिया मिली हर प्यास को सच है मगर
खोद  कूआँ  कब   निकाला  यार  पानी  आपने

***
लाख  दुख  मैं  मानता  हूँ  आपने  झेले  मगर
झोपड़ी  का  दुख  न   झेला   राजरानी  आपने

***
जानता तुम हो ‘मुसाफिर’ पर सफर ऐसा भी क्या
हो कठिन  जब  दो  घड़ी  भी रूक बितानी आपने

***
बह्र - 2122    2122    2122    212

***
लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’
मौलिक और अप्रकाशित

Views: 680

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 14, 2014 at 11:15am

आदरणीय भाई जीतेन्द्र जी प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 14, 2014 at 11:14am

आदरणीय भुवन भाई उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद . आपने जिस शी'र में दोष की और इशारा किया और साथ ही क्रिया  देखने के लिए कहा है कौन सी क्रिया पर गौर करून बताने का कष्ट करें .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 14, 2014 at 11:12am

आदरणीय कुंती दी उत्साहवर्धन के लिए तहेदिल से सुक्रिया .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 14, 2014 at 11:10am

आदरणीय भाई अरुण जी और शिज्जु जी प्रसंशा के लिए आभार साथ ही भुवन जी द्वारा पैदा की गयी शंका के समाधान के लिए हार्दिक बधाई .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 14, 2014 at 11:08am

आदरणीय भाई श्यामनारायण जी , नीरज जी, धर्मेन्द्र जी और जवाहर जी उत्साहवर्धन के लिए आप सभी का आभार .

Comment by Neeraj Neer on May 12, 2014 at 10:17pm

वाह बहुत सुन्दर ग़ज़ल.. 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 12, 2014 at 5:39pm

अच्छे अश’आर हुए हैं लक्ष्मण साहब, दाद कुबूल करें।

Comment by अरुन 'अनन्त' on May 12, 2014 at 1:19pm

वाह भाई क्या कहने बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने सभी अशआर बेहद पसंद आये मेरी ओर से दिली दाद हाजिर है कुबूल फरमाएं मैं भी आदरणीय शिज्जू भाई जी की बातों के इत्तेफाक रखता हूँ.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 12, 2014 at 8:35am

बहुत सुंदर भावपूर्ण गजल, दिली बधाई आपको आदरणीय लक्ष्मण जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 7, 2014 at 9:43pm

बहुत खूब आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत बहुत बधाई, मैं भुवनजी की बात से इत्तेफाक़ नहीं रखता में और ने हमकाफिया नहीं हो सकते इसलिये यहाँ तकाबुले रदीफ़ नहीं होगा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, कुछ और प्रयास करने का अवसर मिलेगा। सादर.."
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या उचित न होगा, कि, अगले आयोजन में हम सभी पुनः इसी छंद पर कार्य करें..  आप सभी की अनुमति…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय.  मैं प्रथम पद के अंतिम चरण की ओर इंगित कर रहा था. ..  कभी कहीं…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
""किंतु कहूँ एक बात, आदरणीय आपसे, कहीं-कहीं पंक्तियों के अर्थ में दुराव है".... जी!…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी जी .. हा हा हा ..  सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य आदरणीय.. "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी  प्रयास पर आपकी उपस्थिति और मार्गदर्शन मिला..हार्दिक आभारआपका //जानिए कि रचना…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।छंदो पर उपस्थिति, स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार। इस पर पुनः प्रयास…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन।छंदों पर उपस्थिति उत्तसाहवर्धन और सुझाव के लिए आभार। प्रयास रहेगा कि…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हर्दिक धन्यवाद, आदरणीय.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह वाह ..  दूसरा प्रयास है ये, बढिया अभ्यास है ये, बिम्ब और साधना का सुन्दर बहाव…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service