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हाले दिल जो छुपाने के काबिल न था ।
क्या कहूं मै सुनाने के काबिल न था ।

इस ज़माने ने मुझको नकारा नहीं
मै तो खुद ही ज़माने के काबिल न था ।

इस लिए वो मुझे आज़माते रहे ,
मै उन्हें आज़माने के काबिल न था ।

रंग तनहाइयों में ही भरने लगा ,
वो जो महफ़िल सजाने के काबिल न था ।  

बोझ रस्मों रिवाज़ों के कुछ भी न थे ,
पर उन्हे मै उठाने के काबिल न था ।

सूख कर दरिया वो राह में खो गया ,
जो सागर को पाने के काबिल न था ।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज

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Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 22, 2013 at 6:48am

सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई. बहर का अभ्यास करने के लिए बेसिक्स (तक्तीअ) वाला चैप्टर रेफेर करें ...उसके बाद निदा फाजली साहब या बशीर बद्र साहब की किन्ही भी 15 गजलों की तक्तीअ करने का प्रयास करें ... ग़ालिब और मीर पर ये न आजमाएं .. उस ज़माने के कहन में और आज में बड़ा फ़र्क है, उलझाव पैदा होगा.
सादर   

Comment by Neeraj Nishchal on November 21, 2013 at 8:27pm

आदरणीय देवराज भाई बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Neeraj Nishchal on November 21, 2013 at 8:26pm

आदरणीय विश्वजीत जी बहुत बहुत आभार ।

Comment by Neeraj Nishchal on November 21, 2013 at 8:12pm

आदरणीय गोपाल नारायण जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Neeraj Nishchal on November 21, 2013 at 8:03pm

आदरणीय प्रबंधक जी आदरणीय अरुण जी आदरणीय आशुतोष जी
और आदरणीय भंडारी जी

बहर और वजन लिखना तो मुझे आता नही है पर मैंने मात्राएँ ठीक करने कि कोशिश
ज़रूर की हैं मै आपकी ग़ज़ल कक्षा बहुत बार गया हूँ पर वहाँ कि उर्दू मेरी समझ में नही आती
और वहाँ जो शेर उदाहरण में दिए हैं उन्ही में खोकर रह जाता हूँ हालत ये है वहाँ के सारे शेर
मुझे याद हो गए हैं पर मै कोशिश करूंगा कि बहार लिख पाऊँ ।
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद ।
प्रणाम


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 21, 2013 at 5:37pm

नीरज भाई , बहुत अच्छी बातें कही है , शे र मे , पर मात्रा क्रम अलग अलग लगता है सभी मिसरो मे !!! बह्र लिख दें तो कुछ समझ मे आये !!!!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 21, 2013 at 12:27pm

नीरज जी सुंदर ग़ज़ल ..बहर के बारे में जैसा अरुण जी ने कहा लिखेंगे तो समझने में आसानी होगी ..सादर 

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 21, 2013 at 11:05am

नीरज भाई कृपया बह्र से अवगत करायें.

Comment by devraj on November 21, 2013 at 10:03am

मजा आ गया नीरज जी क्या लिखा है आपने 

Comment by Bishwajit yadav on November 20, 2013 at 10:38pm
नीरज जी बहुत सुंदर। जय हो।।।

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