For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक शाम खड़ा था अपने घर के बाहर तभी एक गाड़ी मेरे घर के करीब आ रुकी, मेरे पडोसी कि गाड़ी थी ,अभी कल ही उनके घर में उनकी एक घनिष्ठ रिश्तेदार जो उनके यहाँ रहकर ही अपना इलाज करा रही थीं उनका निधन हो गया था जिसकी सूचना मुझे भी मिली थी , खैर कार का दरवाज़ा खुला और वो लोग बाहर निकले अपने हालचाल को व्यवस्थित किये हुए और मुझे देख कर हलकी सी मुस्कान में मुस्कराये मैंने पूछा ," कहीं बाहर गए थे आप लोग ? "

उन्हों ने कहा ," तनाव बहुत ज्यादा हो गया था तो सोचा चलो फ़िल्म देख कर आते हैं । "

मौलिक व अप्रकाशित

नीरज

Views: 408

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shubhranshu Pandey on November 20, 2013 at 9:26am

आदरणीय नीरज जी, 

कथा की शुरुआत को एक बार और जाब टेबल पर जाने की आवश्यकता है.....सुन्दर कथा..

सादर.

Comment by annapurna bajpai on November 19, 2013 at 11:15pm

बाप रे !! ऐसे लोग भी हैं । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on November 19, 2013 at 9:48pm

सुन्दर लघुकथा...............


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 19, 2013 at 8:41pm

ऐसा ??.. :-(((

अच्छी लघुकथा है. भाषा पर भी ध्यान दें ..

शुभेच्छाएँ

Comment by Meena Pathak on November 19, 2013 at 5:30pm

यही सच है आज का .......

Comment by Ravi Prabhakar on November 19, 2013 at 5:09pm

सुन्‍दर लघु कथा, अति उत्‍तम

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 19, 2013 at 3:06pm

नीरज मिश्र जी

बिलकुल  सच कहा आपने i

संवेदना अब एक फार्मेलिटी बन चुकी है i

यह कड़वी  सच्चाई है

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on November 19, 2013 at 12:53pm

शायद ये आजकल का परिवेश है

सुन्दर लघु कथा के लिए बधाई हो आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
5 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
8 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
8 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
8 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
8 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service