For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कभी जब तुम नही रहते

कभी जब तुम नही रहते ,
तुम्हारा कोई "अहसास" रहता है
कि जैसे बंद कमरे मे
कोई आहट गुजरती हो
कि जैसे हवा के साथ कोई
ख़ुशनुमा ठंडा झोंका
मेरे कमरे में आता , जाता
पर
ठहरता नहीं है
कि जैसे किसी बंद क़िताब के पन्ने
कोई सदा देते हों
कि जैसे पुराने खतों की खुश्बू
गुदगुदाती हो
कोई पुरानी तस्वीर
जैसे बोलने को बे-करार हो
कि जैसे वक़्त का टुकड़ा कोई ,
गुज़र कर भी नहीं गुज़रता है
कभी जब तुम नहीं रहते ,
तुम्हारा कोई " अहसास" रहता है..........

अजय कुमार शर्मा
अप्रकाशित एवं अमुद्रित
------------

Views: 623

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on November 19, 2013 at 10:37am

इस सुन्दर रचना के लिए बधाई, आदरणीय अजय जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 19, 2013 at 10:37am

कोई पुरानी तस्वीर
जैसे बोलने को बे-करार हो
कि जैसे वक़्त का टुकड़ा कोई ,
गुज़र कर भी नहीं गुज़रता है
कभी जब तुम नहीं रहते ,
तुम्हारा कोई " अहसास" रहता है...

जीवन में जो आपका प्रिय हो, अगर आपके करीब न हो तो, एक एहसास सदा आपके पास होता है, हृदयस्पर्शी रचना पर बधाई स्वीकारें आदरणीय अजय जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 18, 2013 at 11:08pm

किसी अपने के पास न होते हुए भी होने के एहसास को जीते हुए लिखी गयी इस अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by नादिर ख़ान on November 18, 2013 at 10:18pm

कोई पुरानी तस्वीर 
जैसे बोलने को बे-करार हो
कि जैसे वक़्त का टुकड़ा कोई , 
गुज़र कर भी नहीं गुज़रता है 
कभी जब तुम नहीं रहते , 

सुंदर एहसास, दिल को छूता हुआ

 बहुत खूब अजय जी ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 18, 2013 at 4:46pm

आदरनीय अजय जी बेहतरीन रचना के लिए हर्दिक 

Comment by राजेश 'मृदु' on November 18, 2013 at 3:51pm

जय हो, बहुत सुंदर प्रस्‍तुति, सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 17, 2013 at 2:37pm

आदरणीय अजय भाई , एक मनः स्थिति का बहुत भाव पूर्ण प्रस्तुति  !!! आपको हार्दिक बधाई !!!!

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 17, 2013 at 2:08pm

आदरणीय अजय जी प्रयास हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें शेष आदरणीय भ्राताश्री जी ने कह दिया है उनकी बातों का सज्ञान करें.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 17, 2013 at 12:17pm

आदरणीय अजय शर्मा जी, कथ्य को यदि शिल्प का सहारा मिल जाय तो रचना में जान आ जाया करती है, इस प्रयास पर बधाई प्रेषित है । 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 17, 2013 at 12:14pm

आपका अहसास चिरंतन है  i इस अहसास से सभी गुजरते है i पर आपके शब्दों में जो दर्द है वह इस अहसास को भाव प्रवण बनाता है i

मेरा स्नेह i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"गजलों खो लेकर एक बात जो कम ही चर्चा में आअती है, वह है उसके मिसरों का गद्यानुरूप होना. अर्थात,…"
9 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
17 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा

.गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा नशा उतार ख़ुदाया नशा उतार मेरा. . बना हुआ हूँ मैं जैसा मैं…See More
42 minutes ago
Mayank Kumar Dwivedi posted a blog post

ग़ज़ल

2122 1122 1122 22आप भी सोचिये और हम भी कि होगा कैसे,,हर किसी के लिए माहौल ये उम्दा कैसे।। क्या…See More
43 minutes ago
Chetan Prakash replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. सौरभ जी, क्षमा करें, समस्या के मूल में जाने के बजाय जिम्मेदार लोग  ' बलि का बकरा ढूँढ़…"
48 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आ. अशोक जी,बहुत सुन्दर छन्द हुआ है ...बधाई स्वीकार करें.एक शंका है...होतीं बेटियाँ की जगह क्या होती…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - सपने
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक -वाणी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। उत्तम छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय शिज्जू भाई, घनाक्षरी या सवैया जिन्हें उनकी कुल मात्रिकता के कारण वृत्त या दण्डक की श्रेणी का…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक रक्ताले सर, जी बेहतर की संभावना तो हर जगह होती है, मगर मेरे कहने का आशय यह नहीं था।…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सादर अभिवादन आदरणीय। मेरा मानना है कि अमित जी को इस संदर्भ में स्वयं अपना पक्ष रखना चाहिए और अपनी…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service