For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राहबर जब हवा हो गई
नाव ही नाखुदा हो गई

प्रेम का रोग मुझको लगा
और दारू दवा हो गई

जा गिरी गेसुओं में तेरे
बूँद फिर से घटा हो गई

चाय क्या मिल गई रात में
नींद हमसे खफ़ा हो गई

लड़ते लड़ते ये बुज़दिल नज़र
एक दिन सूरमा हो गई

जब सड़क पर बनी अल्पना
तो महज टोटका हो गई

माँ ने जादू का टीका जड़ा
बद्दुआ भी दुआ हो गई

Views: 647

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 15, 2015 at 11:23pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय विजय निकोर जी

Comment by vijay nikore on February 3, 2013 at 9:54am

आदरणीय धर्मेन्द्र जी:

इतनी अच्छी गज़ल पता नहीं कैसे पढ़ने से रह गई...

सरल शब्दों में कितना-कुछ कह दिया है आपने!

ढेर बधाई।

विजय निकोर

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 17, 2013 at 10:50am

बहुत बहुत शुक्रिया सौरभ जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 17, 2013 at 10:49am

बागी जी बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 16, 2013 at 8:07pm

इन दो शेर पर विशेष बधाई, धर्मेन्द्रजी -

जा गिरी गेसुओं में तेरे
बूँद फिर से घटा हो गई

चाय क्या मिल गई रात में
नींद हमसे खफ़ा हो गई 

दोनों शेर विशेष मनोदशा के सूचक हैं. पुनः बधाई.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 13, 2013 at 11:03am

//माँ ने जादू का टीका जड़ा
बद्दुआ भी दुआ हो गई//

यह शेर बहुत ही पसंद आया, छोटी बहर में अच्छी ग़ज़ल कही है भाई धर्मेन्द्र जी, दाद कुबूल करें ।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 12, 2013 at 1:48pm

शुक्रिया अरुन शर्मा "अनन्त" जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 12, 2013 at 11:38am

आदरणीय धर्मेन्द्र जी छोटी बहर में लाजवाब ग़ज़ल कह डाली आपने, दिली दाद हार्दिक बधाई .

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 11, 2013 at 11:19pm

बहुत बहुत शुक्रिया  rajesh kumari जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 11, 2013 at 8:44pm

जा गिरी गेसुओं में तेरे

बूँद फिर से घटा हो गई-----वाह वाह क्या कहने इस शेर के 

 

चाय क्या मिल गई रात में

नींद हमसे खफ़ा हो गई-----सच में रात  में चाय  पीना ठीक नहीं ,बहुत बढ़िया शेर ,इस छोटी बहर  की खूबसूरत ग़ज़ल के लिए दाद कबूल करें 

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service