For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 2122

उल्फ़तों की रीत आँसू
वेदना के मीत आँसू

तुम ग़ज़ल में ढल गईं तो
बन गये संगीत आँसू

पीर ने दर खटखटाया
आ गये मनमीत आँसू

आँसुओं के रूप कितने
मुस्कुराहट प्रीत आँसू

प्रेम के पावन सफ़र में
हार 'ब्रज' है जीत आँसू

(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 509

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 4, 2022 at 11:28am

बहुत बहुत आभार आदरणीय धामी जी...सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 19, 2022 at 3:31pm

आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है । असीम हार्दिक बधाई स्वीकारें।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 19, 2022 at 10:21am

हौसलाफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया जनाब अमीरुद्दीन जी...

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 19, 2022 at 10:20am

धन्यवाद आदरणीय गुमनाम जी...बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 19, 2022 at 10:20am

रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनंदन एवं आभार आदरणीया अनीता जी...

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 16, 2022 at 8:58pm

बहुत ख़ूब, जनाब बृजेश कुमार ब्रज जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है दिली मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएं।

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 16, 2022 at 5:14pm

वाह बहुत खूब गजल हुई है ॥ बधाई 

Comment by Anita Maurya on July 15, 2022 at 7:39pm

वाह , बहुत सुन्दर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सभी साथियों को प्रणाम, आदरणीय सौरभ जी ने एक गंभीर मुद्दे को उठाया है और इस पर चर्चा आवश्यक है।…"
1 hour ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"विषय बहुत ही चुनकर देते हैं आप आदरणीय योगराज सर। पुराने दिन याद आते हैं इस आयोजन के..."
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक रक्ताले सर, प्रस्तुत रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।तीसरी और चौथी पंक्तियों को पढ़ते समय…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सुशील सरना जी, अच्छी रचना है सादर बधाई आपको"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय रवि शुक्ला जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar updated their profile
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"भाई मयंक जी, व्यवहार में निरमलता व विनम्रता ही ज्ञान का परिचय देती । सभी वरिष्ठों का आशीष बना रहे…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मंच के सभी सदस्यों को सादर अभिवादन। कई बार मन में आया कि मंच से वरिष्ठ व अनभवी और मार्गदर्शक…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय नीलेश भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सलाह के लिए आपका आभार  आपकी दोनों सलाह अच्छी हैं ,…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय रवि भाई , ग़ज़ल पर उपस्थिति और उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. गिरिराज जी समर सर ग़ज़ल पर कह ही चुके हैं. बादल वाले शेर को यूँ कर के देखें... बूँद जो बारिश…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"आ. मयंक जी,आप जैसे युवाओं को ग़ज़ल कहने का प्रयास करते देख कर बहुत अच्छा लगता है.आप को अभी और समय…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service