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हमारे वारे न्यारे हो रहे हैं

1222 1222 122

1

हमारे वारे न्यारे हो रहे हैं
सनम को जाँ से प्यारे हो रहे हैं
2
बसा कर दिल में शोहरत की तमन्ना
फ़लक के हम सितारे हो रहे हैं
3
नवाज़ा है खुदा ने हर खुशी से
बड़े अच्छे गुज़ारे हो रहे हैं
4
गिला शिकवा नहीं है अब किसी से
सभी दिल से हमारे हो रहे हैं
5
तुम्हारी आँखों के इन मोतियों से
समंदर ख़ूूूब ख़ारे हो रहे हैं
6
भरी महफ़िल में 'निर्मल' आज कैसे
निगाहों से इशारे हो रहे हैं

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 3, 2021 at 8:33pm

वाह बड़ी ही प्यारी ग़ज़ल कही है आदरणीया...बधाई

Comment by Rachna Bhatia on March 1, 2021 at 11:28am

आदरणीय समर कबीर सर्, पता नहीं कहाँ से सर् इतना लंबा खिंच गया । न ही एडिट का आप्शन आ रहा है कि मैं ठीक कर सकूँ हालांकि पोस्ट किए केवल ३० सैंकड ही हुए हैं।आपसे क्षमा चाहती हूँ ।

आशा करती हूँ आप इसे अन्यथा नहीं लेंगें।

सादर।

Comment by Rachna Bhatia on March 1, 2021 at 11:22am

आदरणीय समर कबीर सर् सादर नमस्कार। सर् हौसला बढ़ाने तथा इस्लाह देने के लिए आपकी आभारी हूँ।

सर् ्््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््

शुहरत अब से ठीक लिखूँगी।मतला तथा तीसरे शे'र का सानी बदलने की कोशिश करती हूँ
Comment by Samar kabeer on February 28, 2021 at 2:47pm

मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

मतला बस ठीक ठीक है ।

'बसा कर दिल में शोहरत की तमन्ना'

'शोहरत' को "शुहरत" लिखा करें, कई बार बताया जा चुका है ।

'बड़े अच्छे गुज़ारे हो रहे हैं'

इस मिसरे को बदलने का प्रयास करें ।

'समंदर ख़ूूूब ख़ारे हो रहे हैं'

इस मिसरे में 'ख़ूब' की जगह "और" कर लें ।

Comment by Rachna Bhatia on February 24, 2021 at 4:44pm

आदरणीय आज़ी तमाम जी ग़ज़ल तक आने के लिए तथा हौसला बढ़ाने के लिए आभार ‌

Comment by Rachna Bhatia on February 24, 2021 at 4:43pm

आदरणीय अमीरुद्दीन'अमीर'जी नमस्कार। ग़ज़ल तक आने तथा हौसला बढ़ाने के लिए आभारी हूँ।फेयर में ठीक कर लेती हूँ।

Comment by Rachna Bhatia on February 24, 2021 at 2:15pm

आदरणीय अमीरुद्दीन'अमीर'जी नमस्कार। ग़ज़ल तक आने तथा हौसला बढ़ाने के लिए आभारी हूँ।फेयर में ठीक कर लेती हूँ।

Comment by Rachna Bhatia on February 24, 2021 at 2:14pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी'मुसाफ़िर'भाई नमस्कार। ग़ज़ल तक आने तथा हौसला बढ़ाने के लिए आभारी हूँ।

Comment by Rachna Bhatia on February 24, 2021 at 2:13pm

आदरणीय कृष मिश्रा जी ंंनमस्कार। ग़ज़ल तक आने तथा हौसला बढ़ाने के लिए आभारी हूँ।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 23, 2021 at 4:34pm

वाह सादगी भरी खूबसूरत ग़ज़ल हुई है। नये से बिम्ब देखने को मिले हैं, ढेरों मुबारकबाद आ. रचना जी।

कृपया ध्यान दे...

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