था सब आँखों में मर्यादा का पानी याद है हमको
पुराने गाँव की अब भी कहानी याद है हमको।
भले खपरैल छप्पर बाँस का घर था हमारा पर
वहीं पर थी सुखों की राजधानी याद है हमको
वो भूके रहके ख़ुद महमान को खाना खिलाते थे
ग़रीबों के घरों की मेज़बानी याद है हमको
हमारे गाँव की बैठक में क़िस्सा गो सुनाता था
वही हामिद के चिमटे की कहानी याद है हमको
सलोना और मनभावन शरारत से भरा बचपन
अभी तक मस्त अल्हड़ ज़िंदगानी याद है हमको
हमें सोने से पहले रात को अम्मा बताती थी
कि रहती चाँद पर इक बूढ़ी नानी, याद है हमको
सितारों की लिए बारात सज के चाँद आता जब
महकती गाँव की वो रात रानी याद है हमको
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आद0 बसन्त कुमार शर्मा जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया का दिल से आभार
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी सादर नमस्कार , लाजबाब मन मुग्ध करने वाली ग़ज़ल के लिए बधाई आपको
महकती गाँव की वो रात रानी याद है हमको
आद0 अमीरुद्दीन 'अमीर' जी सादर अभिवादन। आपकी दाद मिली। ग़ज़ल पुरस्कृत हो गयी। बहुत बहुत आभार आपका
आद0 रवि भसीन 'शाहिद' जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल आप तक पहुँची, कहना सार्थक हुआ। आभार आपका।
आद0 लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर उपस्थिति और दाद के लिए शुक्रियः
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' साहिब आदाब, इस ख़ूबसूरत और प्यारी ग़ज़ल पर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ । सादर ।
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' साहिब, वाह वाह! सात अशआर में आपने गुज़रे हुए ज़माने की, बचपन की, और गाँव की सैर करा दी। इस सुन्दर ग़ज़ल पर दाद और बधाई स्वीकार करें।
आ. भाई सुरेंद्र नाथ जी, सादर अभिवादन । उत्तम गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
आद0 तेजवीर सिंह जी सादर अभिवादन,
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया का हृदयतल से अभिनन्दन और आभार। सादर
आद0 चेतन प्रकाश जी सादर अभिवादन,
आपकी आत्मीय प्रतिक्रिया उत्साहवर्धक है। आभार निवेदित करता हूँ। सादर
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