For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मृदु-भाव

प्रात की शीतल शान्त वेला

हवा की लहर-सी तुम्हारी मेरे प्रति

मृदु मोह-ममता

मैं बैठा सोचता मेरे अन्तर में अटका

कोलाहल था बहुत

क्यूँ किस वातायन से किस द्वार से कैसे

चुपके से आकर मेरे जीवन में

घोल दिए सरलता से तुमने मुझमें

प्रणय के पावन गीत

किसी सपने की मधुरिमा-सी

सच, प्यारी है मुझको तुम्हारी यह प्रीत

नए प्यार के नवजात गीत की नई प्रात

तुम आई, छूट कर रह गई पीछे कहीं

मेरी नीरवता, मेरी निर्बलता की मुझसे

पीड़ित पहचान

पाया जबसे तुम्हारे नयनों ने नितान्त

मेरे मधु भरे भावों में विश्राम

जानता हूँ हर मिलन की वेला में, प्रिय

घुला होगा तुम्हारे जाने के समय का आभास

मानता हूँ यह भी कि हो सकता है

किसी भीगती-सी शाम

या मेरी किसी शरद-की-रात के सिकुड़े

भयभरे ऊबे पलों में

तुम नहीं होगी मेरे पास ...

पर क्यूँ सोचता है मन यह पीड़ित हुए ख़्याल

अभी जब आ रही है खनकार पेड़ों के पत्तों से

आ रही हो तुम धीरे से लिए मेरे लिए

आँचल में ओढ़े अपना पारस-सा प्यार

कोई कविता-कल्पना नहीं है यह, प्रिय

इस मिलन की वेला जब छा जाएँगी

आज पलकों पर पलकें

आच्छादित होंगे उस पल प्राण पर प्राण

                    ------

--  विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 450

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on April 10, 2020 at 5:13am

भाई समर कबीर जी, आपसे मिली सराहना का मतलब है कि मैं इम्तहान में पास हो गया।दिल से शुक्रिया कि आप मेरी लिखी रचनाओं को इज़्ज़त देते हैं।
हम अब १ १/४ महीने से घर के अन्दर ही हैं, कहीं नहीं गए। Dr की appointments थीं, सारी स्थगित कर दी हैं। सामान delivery service से मंगवाते हैं... हर फल, हर सब्ज़ी को साबुन के गरम पानी से धोते हैं। हर हाल में शुक्र-गुज़ार हूँ। आपने मेरा हाल पूछा, इसके लिए भी दिल से शुक्र-गुज़ार हूँ।

Comment by vijay nikore on April 10, 2020 at 5:07am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, प्रिय मित्र सुशील जी। आपका आना बहुत सुखद लगा।

Comment by Samar kabeer on April 6, 2020 at 4:35pm

प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,हमेशा की तरह एक अच्छी रचना पेश की आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया अपनी ख़ैरियत से आगाह करते रहें,मुझे आपकी बहुत चिंता है ।

Comment by Sushil Sarna on April 5, 2020 at 2:38pm

बहुत सुंदर आदरणीय विजय निकोर जी, अंतर् भावों को शब्दों के परिधान से सुसज्जित कर उसे ऐसे पेश करना जैसे शब्दों को स्वर मिल गया हो। इस बेहतरीन भावुक प्रस्तुति के लिए दिल से बधाई सर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"     कह-मुकरी * हर दिन कितने प्रश्न छुड़ाए। मेरे मन को वह  अति भाए। देख…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका…"
1 hour ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अशोक जी सृजन के प्रयास की सराहना के लिए हार्दिक आभार । भविष्य के लिए  अवगत हुआ सर…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर,  चित्र के मुख्य भाव न लेकर दूर के कोण प्रयोग कर आपने मुकरियाँ…"
1 hour ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।आदरणीय पाति अर्थात पत्र जिसे देखकर…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर,  प्रदत्त चित्रानुसार अच्छी मुकरियाँ रचीं हैं आपने.…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कह मुकरियाँ रचीं हैं आपने. फिर…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कह मुकरियाँ रचीं हैं आपने. फिर…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय मिथिलेश जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुंदर मुकरियां रची हैं आपने. हार्दिक बधाई…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक बधाई मुकरियाँ के लिए । द्वितीय के लिए विशेष  बधाई।  अन्य दो में…"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
""आदरणीय मिथिलेश भाईजी,  हार्दिक बधाई इन पाँच मुकरियों के लिए | मेरी जानकारी के अनुसार…"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, हार्दिक बधाई मुकरियों का चौका जड़ने के लिए।  द्वितीय में ............ तीन…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service