For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तरही ग़ज़ल-2 (आ० समर कबीर जी को समर्पित)

1222 1222 122
.
हमारा धर्म दहशत है? नहीं तो!
तो पूरी क़ौम सहमत है? नहीं तो!
.
तेरे हाथों में ख़ंजर है, मेरे भी
ये क्या अच्छी अलामत है? नही तो

फ़क़त मंदिर ओ मस्जिद के मसौदे,
यही क़ौमी क़यादत है? नही तो!  

अज़ीमुश्शां मक़ाबिर के जो खालिक,
कहीं उनकी भी तुर्बत है? नही तो!

जहाँ पत्थर की हर देवी सुरक्षित,
वहाँ बेटी सलामत है? नही तो!

मेरी झोली ख़सारों से भरी है    
ये मामूली सी ने'मत है? नहीं तो!
.
जड़ों से दूर जाना, कट के रहना 
तरक़्क़ी की ज़मानत है? नहो तो

हज़ारों शे'र यूँ तो कह चुका हूँ 
किसी में भी नफ़ासत है? नहीं तो!
.

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 1029

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 18, 2018 at 5:30pm

आदरणीय योगराज प्रभार जी, सादर नमस्कार आपको, वाह लाजबाब ग़ज़ल आनंद आ गया 

Comment by Ganga Dhar Sharma 'Hindustan' on September 18, 2018 at 5:22pm

आदरणीय प्रभाकर जी....बहुत ही बढ़िया  ग़ज़ल के लिए तहेदिल से मुबारकबाद .....

Comment by Mahendra Kumar on May 15, 2017 at 11:56am

मेरी झोली ख़सारों से भरी है, ये मामूली सी ने'मत है? नहीं तो! ...वाह! बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है आदरणीय योगराज सर. इस उम्दा प्रस्तुति पर दिल से ढेरों बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 8, 2017 at 8:12pm

आदरनीय योगराज भाई , बेहतरीन गज़ल कही है , आपने .. शे र दर शेर बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 8, 2017 at 11:53am

आ. भाई योगराज जी रचना और रचनाकार दोनों को कोटि कोटि नमन ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 8, 2017 at 10:12am

आ. योगराज सर,
तो सुरक्शत लिखा जाय :p 
सादर 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 8, 2017 at 10:01am

भाई निलेश नूर जी, पंजाबी में व्यंजन "क्ष" नहीं होता इसलिए मंदिर/मंदर की तर्ज़ पर सुरक्षित को सुरक्षत पढने या बोलने का सवाल ही पैदा नहीं होताI  

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 8, 2017 at 9:58am

आ. योगराज सर...
काश सभी मित्र जितना अपने शब्दों को लेकर जागरूक हैं, उतना ही अन्य भाषा के शब्दों को लेकर भी    हो जायें.
वैसे पंजाबी लहजे में सुरक्षित को सुरक्षत पढना आम है ..जैसे मन्दिर को मंदर ...( ये एक सम्भावित कुतर्क हो सकता है :-)))) 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 8, 2017 at 9:44am

आ० भाई अनुराग वशिष्ठ जी, "सुरक्षित" शब्द  गलती से नहीं लिखा थाI दरअसल सलामत शब्द से वो फीलिंग नहीं आ रही थी, बहरहाल भावुकता में काफियाबंदी गलत हो गईI अब सुरक्षित की जगह सलामत कर दिया है, रचना को समय देने के लिए दिल से आपका शुकरगुज़ार हूँI        


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 8, 2017 at 9:41am

आ० निलेश नूर जी, गलती सुधार ली गई हैI  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
4 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
5 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"//दोज़ख़ पुल्लिंग शब्द है//... जी नहीं, 'दोज़ख़' (मुअन्नस) स्त्रीलिंग है।  //जिन्न…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, बहतर है।"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। आशा है कि…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service