For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहे लिखने की मेरी पहली कोशिश है

घूम - घूम के देश मे, बाँट रहा है ज्ञान।

बातें कड़वी बोलता, सत्य उसे ना मान।।

 

अपना सीना तान के, करे शब्द से वार।

अन्धे उसके भक्त हैं, करते जय जयकार।।

 

बाँटे अपने देश को, लेके प्रभु का नाम।

उसको आता है यही, अधर्म का ही काम।।

 

यही देश का भाग है, यही देश का सत्य।

कोई आगे आय ना, नाग करे सो नृत्य।।

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

संशोधन के पश्चात पुनः दोहे प्रस्तुत कर रहा हूँ फिर से गौर फरमाइयेगा

Views: 563

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 4, 2014 at 10:50am

सुंदर दोहावली पर बधाई स्वीकारें आदरणीय शिज्जू जी

Comment by Meena Pathak on February 3, 2014 at 1:00pm

दोहों के लिए बहुत बहुत बधाई आप को आदरणीय शिज्जू जी ... आप का प्रयास गुणीजनों तक पहुँचा तो सही 

Comment by ram shiromani pathak on February 3, 2014 at 10:04am

प्रतिदिन के अभ्यास से ,बढता है निज ज्ञान!
हो जायेंगे आप सफल,रहें सदा गतिमान  !!//////////////हार्दिक बधाई शिज्जु भाई॥

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on February 3, 2014 at 9:44am

सबको मूर्ख समझ के, करे शब्द से वार  ///  सबको मूरख जान  के, करे शब्द से वार

अंध भक्त के बीच सुने, अपनी जय जयकार ///  अंध भक्त के बीच में , अपनी जय जयकार

सुंदर प्रयास की हार्दिक बधाई शिज्जु भाई॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 3, 2014 at 9:35am

आदरणीय गिरिराज सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया त्वरित प्रतिक्रिया के लिये स्नेह बनाये रखें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 3, 2014 at 7:56am

आदरणीय शिज्जू भाई , छंद प्रयास के लिये आपको बहुत बधाइयाँ , प्रथम प्रयास बहुत सफल है । एक दो जगह मात्रा कम जादा है , एक दो जगह गेयता बाधित है ॥ मै भी सिखाड़ी ही हूँ , फिर भी बताने का प्रयास कर रहा हूँ  - सबको मूर्ख समझ के, 12 मात्रा  हो रही है ,   मूरख करने से ठीक आ रहा है

अंध भक्त के बीच सुने -  14 मात्रा , इसे सुधार लीजिये ।

प्रभु का लेके नाम   -- को  --   लेके प्रभु का नाम   --- करने से  गेयता सुधर जायेगी

उसको आता यही बस, अधर्म का ही काम ----इसको - उसको आता है यही , बस अधर्म का काम  -- करने से गेयता सही आयेगी ।

 

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service