For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहे लिखने की मेरी पहली कोशिश है

घूम - घूम के देश मे, बाँट रहा है ज्ञान।

बातें कड़वी बोलता, सत्य उसे ना मान।।

 

अपना सीना तान के, करे शब्द से वार।

अन्धे उसके भक्त हैं, करते जय जयकार।।

 

बाँटे अपने देश को, लेके प्रभु का नाम।

उसको आता है यही, अधर्म का ही काम।।

 

यही देश का भाग है, यही देश का सत्य।

कोई आगे आय ना, नाग करे सो नृत्य।।

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

संशोधन के पश्चात पुनः दोहे प्रस्तुत कर रहा हूँ फिर से गौर फरमाइयेगा

Views: 597

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 4, 2014 at 10:50am

सुंदर दोहावली पर बधाई स्वीकारें आदरणीय शिज्जू जी

Comment by Meena Pathak on February 3, 2014 at 1:00pm

दोहों के लिए बहुत बहुत बधाई आप को आदरणीय शिज्जू जी ... आप का प्रयास गुणीजनों तक पहुँचा तो सही 

Comment by ram shiromani pathak on February 3, 2014 at 10:04am

प्रतिदिन के अभ्यास से ,बढता है निज ज्ञान!
हो जायेंगे आप सफल,रहें सदा गतिमान  !!//////////////हार्दिक बधाई शिज्जु भाई॥

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on February 3, 2014 at 9:44am

सबको मूर्ख समझ के, करे शब्द से वार  ///  सबको मूरख जान  के, करे शब्द से वार

अंध भक्त के बीच सुने, अपनी जय जयकार ///  अंध भक्त के बीच में , अपनी जय जयकार

सुंदर प्रयास की हार्दिक बधाई शिज्जु भाई॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 3, 2014 at 9:35am

आदरणीय गिरिराज सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया त्वरित प्रतिक्रिया के लिये स्नेह बनाये रखें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 3, 2014 at 7:56am

आदरणीय शिज्जू भाई , छंद प्रयास के लिये आपको बहुत बधाइयाँ , प्रथम प्रयास बहुत सफल है । एक दो जगह मात्रा कम जादा है , एक दो जगह गेयता बाधित है ॥ मै भी सिखाड़ी ही हूँ , फिर भी बताने का प्रयास कर रहा हूँ  - सबको मूर्ख समझ के, 12 मात्रा  हो रही है ,   मूरख करने से ठीक आ रहा है

अंध भक्त के बीच सुने -  14 मात्रा , इसे सुधार लीजिये ।

प्रभु का लेके नाम   -- को  --   लेके प्रभु का नाम   --- करने से  गेयता सुधर जायेगी

उसको आता यही बस, अधर्म का ही काम ----इसको - उसको आता है यही , बस अधर्म का काम  -- करने से गेयता सही आयेगी ।

 

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service