For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल...तुम्हारी याद का मौसम--बृजेश कुमार 'ब्रज'

1222 1222 1222 1222
हमें जब आज़माता है तुम्हारी याद का मौसम
सुकूँ भी साथ लाता है तुम्हारी याद का मौसम

ग़मों ने कोशिशें तो लाख कीं पलकें भिंगोने की
लबों पर मुस्कुराता है तुम्हारी याद का मौसम

हमारे रूबरू ठहरो कभी पल भर तो समझाएं
हमें कितना सताता है तुम्हारी याद का मौसम

इसे मैं छोड़ आता हूँ कहीं सुनसान सहरा में
मगर फिर लौट आता है तुम्हारी याद का मौसम

वहाँ तुम हो तुम्हारी पुरकशिश कमसिन अदाएं हैं
यहाँ 'ब्रज' गुनगुनाता है तुम्हारी याद का मौसम
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 885

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on December 19, 2017 at 5:25pm

जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज'साहिब आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।

जनाब अफ़रोज़ साहिब की बातों का संज्ञान लें ।

Comment by Sushil Sarna on December 19, 2017 at 4:53pm

वाह बहुत सुंदर अशआर , खूबसूरत अहसास , ... इस दिलकश ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय।

Comment by Ajay Tiwari on December 19, 2017 at 3:16pm

आदरणीय बृजेश जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई. 

 

Comment by नाथ सोनांचली on December 19, 2017 at 1:55pm

आद0 ब्रजेश कुमार ब्रज जी सादर अभिवादन। बेहतरीन ग़ज़ल कहीं आपने।बहुत बहुत बधाई आपको।शेष आद0 अफरोज जी के बातों का संज्ञान लीजियेगा।सादर

Comment by Afroz 'sahr' on December 19, 2017 at 1:11pm
आदरणीय ब्रजेश जी इस रचना पर बधाई आपको । कुछ टंकण त्रुटियाँ हैं । इसे दूर करलें, "आजमाता" को आज़माता करलें, "सकूँ" को सुकूँ करलें, "लवों" को लबों करलें, चौथे शेर का ऊला मिसरा "इसे में छोड़ तो आऊं कहीं सुनसान सहरा में" में संभावना जताई गई है। अर्थात अभी याद का मौसम सुनसान सहरा में छोड़ा नहीं है तो फिर सानी मिसरे " मगर फिर लौट आता है तुम्हारी यादका मौसम" के मुताबिक याद का मौसम कैसे लौट सकता है।
ऊला मिसरे को यूँ किया जा सकता है,,,

" इसे में छोड़ आता हूँ कहीं सुनसान सहरा में",,,,,
Comment by Mohammed Arif on December 19, 2017 at 7:58am

आदरणीय बृजेश कुमार जी आदाब,

                                बहुत ही प्यारे अश'आरों से सजी ग़ज़ल । हर शे'र बढ़िया । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें । बाक़ी गुणीजन अपनी अमूल्य राय साझा करेंगे ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
yesterday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service