For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक ग़ज़ल- दिल को लगते बहुत भले हो

मापनी २२ २२ २२ २२

 

सुबह के’ मंजर से उजले हो,

दिल को लगते बहुत भले हो.

 

एक नजर देखा है जब से,

सपने जैसा दिल में’ पले हो.

 

सारी दुनिया जान गयी है,

तुम तो नहले पर दहले हो

 

पल पल धूप सही है हमने,

और पले तुम छाँव तले हो.

 

ताप  सहा हमने दर्दों का,    

मोम सरीखे तुम पिघले हो.

 

जिनको भी चाहा दुनिया में,

उनमें तुम सबसे पहले हो.

जम कर बैठ गए हो दिल में,

पल भर को भी कब निकले हो

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 686

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 2, 2017 at 10:40am

आदरणीय  Ram Awadh VIshwakarma  जी ,आपकी हौसलाअफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया दिल से 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 2, 2017 at 10:40am

आदरणीय  ajay sharma जी ,आपकी हौसलाअफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया दिल से 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 2, 2017 at 10:39am

आदरणीय  ajay sharma जी ,आपकी हौसलाअफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया दिल से 

Comment by Samar kabeer on September 1, 2017 at 3:46pm
जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,लेकिन क़ाफिये सही नहीं हैं,'उजले'के साथ 'भले',देखियेगा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on September 1, 2017 at 11:09am
आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी आदाब, बहुत अच्छी ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।
Comment by Ram Awadh VIshwakarma on September 1, 2017 at 9:20am
खूबसूरत गधज़ल बधाई
Comment by ajay sharma on August 31, 2017 at 10:48pm

जिनको भी चाहा दुनिया में,
उनमें तुम सबसे पहले हो.......WAH WAH

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
20 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
23 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
23 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
23 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service