For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हम क्यों खोजते है
सच को
बार बार?
कस्तूरी के
मृग की तरह
वो तो सदा
हमारे बीच
ही रहता है.
हम उसे रोज
देखते है
सुनते हैं
सूंघते हैं
पर अंजान बन
उंघते है.
अगर हमने
मान लिया
हम सच जानते है
तो लोग हमें
झूठा कहेंगे
क्योंकि वो भी

कस्तूरी गंध के
सच को जानते है.

विजय प्रकाश शर्मा
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 827

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 1, 2014 at 10:10am

अति सुंदर, संदेशप्रद प्रस्तुति. हार्दिक बधाई आपको आदरणीय विजय जी

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 1, 2014 at 9:47am

आ0 भाई विजय प्रकाश जी इस बेहतरीरन भावप्रधान रचना के लिए हार्दिक बधाई कबूलें ।

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 30, 2014 at 10:23pm

आ० लक्ष्मण जी,आ० गोपाल नारायणजी,आ० विजय शॅंकर जी, आ० राजेश कुमारी जी,
पहले मैं आप सबका अभिनंदन करता हूँ,आपने इतनी बारीकी से रचना को देखा. आप सबों की सराहना हमेशा हौसलाफजाई करती है. बहुत -बहुत आभार.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 30, 2014 at 9:31pm

बहुत सुन्दर रचना ..चंद शब्दों में बहुत गंभीर बात कह गई ,बधाई आपको आ०  विजय प्रकाश शर्मा  जी |

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 30, 2014 at 7:12pm
आदरणीय विजय प्रकाश जी ,
सारी समस्या यही है कि सच को जानते सब हैं , पर झूठ के पीछे भागते सब हैं . क्योंकि कुछ लोग झूठ में ही अपना सच तलाशते हैं , सारा भ्रम वही लोग तो फैलाते हैं . यही बात तो आदरणीय मोदी जी ने भी प्रसंगत: कह डाली संसद में। बस भटके हुए नहीं समझ पाते हैं।
सुन्दर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई , सादर .
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 30, 2014 at 12:36pm

विजय प्रकाश जी 

आपने सच की सच्चाई पर बड़े कलात्मक ढंग से प्रकाश डाला  i बहुत  बेहतरीन i मै एहतराम करता हूँ  i

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 30, 2014 at 11:43am

सत्य को स्वीकारे करने का सन्देश देती सुन्दर रचना के लिए बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
2 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service