For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सच-झूठ,दिन-रात
बनाते रहते हैं लोग.
औरत और आदमी को
अलगाते रहते हैं लोग.
हर रोज जीवन को
उलझाते रहते है लोग.
कभी बनाते है भोग्या
तो कभी चढ़ाते हैं भोग.
नर-नारीपूरक हैं,
नही समझ पाते लोग.
दोनो का सम- भाव हो
कब आएगा यह संजोग?

विजय प्रकाश शर्मा
मौलिक और अप्रकाशित

Views: 816

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 29, 2014 at 8:22pm

आ० विजय शॅंकर जी, आपने इस कविता के भावों की व्याख्या कर दी. आपका बहुत -बहुत अभिनंदन."

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 29, 2014 at 8:18pm

आ० जवाहर लाल जी,
रचना आपको पसंद आई, इसकी पंक्तियाँ भाईं . आपका बहुत- बहुत आभार.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 29, 2014 at 7:34pm

नर-नारीपूरक हैं,
नही समझ पाते लोग.
दोनो का सम- भाव हो
कब आएगा यह संजोग?

चिंतन जारी रहन चहिये  

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 29, 2014 at 6:35pm

आ० गिरिराज भाई,
आपकी सराहना मिली, मैं धन्य हुआ. अभिनंदन.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 29, 2014 at 11:15am

आदरनीय विजय भाई , सच कहा आपने इंसान यातो इस अति पर जीता है या उस अति पर , संतुलन मे कभी आ नही पाता । आपको इस चिंतन के लिये बधाई ॥

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 27, 2014 at 11:46pm
आ o विजय प्रकाश जी ,
बहुत थोड़े में बहुत बड़ी बात कह दी आपने . अलगाते , उलझाते , खुद ही समझ नहीं पाते , जीवन जो बहुत सुन्दर , सुखद हो , उसे लड़ते झगड़ते बिताते, वे ही जाने , क्या पाते , क्या गवातें . बहुत सही और आकर्षक रचना . बधाई .
Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 27, 2014 at 1:07pm

आ० लक्ष्मण धामी जी. आपने सही कहा है- जबतक दोनो नही समझेंगे.
समझने का कIम तो चलते रहना चाहिए. आपका आभार.

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 27, 2014 at 11:28am

आदरणीय भाई विजय प्रकाश जी आपने सत्य कहा है कि नर और नारी एक दूसरे के पूरक हैं । पर हकीकत तो यह है िकइस कटु सत्य को स्चयं नरनारी नहीं समझ पाये हैं । आपने एक प्रश्न उठाया है कि दानों का समभाव होने का संयोग कब आयेगा तो उस बारे यही कहा जा सकता है कि जब स्वयं नर नारी इसकी प्राथमिकता को समझते हुए आगे बढ़ेगे ।

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 27, 2014 at 8:36am

रचना की सराहना के लिए बहुत-बहुत आभार आ० कुंती जी.

Comment by coontee mukerji on June 26, 2014 at 10:07pm

बहुत सुंदर रचना....हार्दिक बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Nov 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 30
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
Nov 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
Nov 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
Nov 30
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
Nov 30
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Nov 30
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
Nov 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
Nov 29

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service