For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे खतों को लगा दिल से चूमती है वो

१२१२     ११२२    १२१२     २२

हसींन जुल्फ कहीं पर बिखर रही होगी

हवा है महकी उधर से गुजर रही होगी

 

फलक पे चाँद है बेताब चांदनी गुमसुम

कहीं जमी पे वो बुलबुल निखर रही होगी

 

जमी पे आज हैं बिखरे तमाम आंसू यूं

ग़मों में डूबी ये शब किस कदर रही होगी

 

मेरे खतों को लगा दिल से चूमती है वो

खुदा कसम ये खबर क्या खबर रही होगी

 

जो जान हम पे छिड़कती उसे नहीं देखा

वो झिर्रियों से ही तकती नजर रही होगी

 

हसी के भाल की बिंदी फलक पे देखी है

बड़ी हसीन सी यारों सहर रही होगी

 

  

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 607

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Anurag Singh "rishi" on April 17, 2014 at 3:27pm

वाह क्या कहने सर बहुत उम्दा अशआर कहे हैं आदरणीय

हसींन जुल्फ कहीं पर बिखर रही होगी

हवा है महकी उधर से गुजर रही होगी

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 17, 2014 at 11:04am

मेरे खतों को लगा दिल से चूमती है वो

खुदा कसम ये खबर क्या खबर रही होगी...........जिंदाबाद शेर

बहुत खुबसूरत गजल कही आपने आदरणीय डा.आशुतोष जी, दिली बधाई आपको

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 17, 2014 at 11:00am

मेरे खतों को लगा दिल से चूमती है वो

खुदा कसम ये खबर क्या खबर रही होगी ।

आदरणीय भाई आशुतोष जी क्या खूब ग़ज़ल कही , इस शे'र के जरिये आपने सचमुच लड़कपन के दिन याद दिल दिए . हार्दिक बधाई .

Comment by Neeraj Nishchal on April 16, 2014 at 7:19pm

मेरे खतों को लगा दिल से चूमती है वो

खुदा कसम ये खबर क्या खबर रही होगी ।

क्या कहूँ आदरणीय आशुतोष जी इस मोबाइल massage सोशल साइट के ज़माने में
आपकी ये पंक्तियाँ उस मोहब्बत की दास्ताँ फिर से कहती हैं जिसमें खतों का अहम रोल
होता था। ......................
बहुत ही बेहतरीन बहुत ही खूबसूरत ।

Comment by इमरान खान on April 16, 2014 at 3:06pm
डा0 साहब बेहतरीन और कामयाब गज़ल पर मेरी दाद कुबूल करें।

मेरे ख्याल से ज़ुल्फ का इस्तेमाल बहुवचन की तरह होता है जबकि यहाँ एकवचन की तरह लिया गया है, मतला दोबारा देखियेगा।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 16, 2014 at 2:04pm

मेरे खतों को लगा दिल से चूमती है वो

खुदा कसम ये खबर क्या खबर रही होगी-----जबरदस्त शेर ...क्या कहने !!!

 बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई आपको 

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on April 16, 2014 at 12:51pm

वाह्ह सर क्या खूब ग़ज़ल हुई है। निशब्द!!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service