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महफ़िल तू आज फिर से सजाने की बात करे

ला ला ल ला    ल ला ला     ल ला ला   ला ला ल ला 

महफ़िल तू आज फिर से सजाने की बात कर

हसरत जवा है पीने पिलाने की बात कर 

चिलमन कहाँ से आया तेरे मेरे बीच में 

चिलमन हटा ये नजरें मिलाने की बात कर

चिलमन हटा तो मुखड़े को घूंघट में यूं छुपा 

गुल की कली न ऐसे जलाने की बात कर 

जलवे जो तेरे पहली दफा देखे थे कभी 

इक बार फिर वो जलवे दिखाने की बात कर 

हाथों में हाथ तेरे हों बस इतनी आरजू 

जन्मों की प्यास  मेरी बुझाने की  बात कर

दीवानगी में हो ही गयी गर कोई खता 

मलिका ए हुस्न यूं ना सताने की बात कर

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by बृजेश नीरज on January 6, 2014 at 10:23pm

सुन्दर ग़ज़ल! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by annapurna bajpai on January 5, 2014 at 8:03pm

सुंदर भावयुक्त गज़ल के लिए आपको बहुत बधाई आदरणीय आशुतोष जी । 

Comment by vijay nikore on January 5, 2014 at 10:50am

गज़ल अच्छी लगी। बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 5, 2014 at 7:10am

आदरणीय आशुतोष भाई , एक अच्छी ग़ज़ल कहने पर आपको बधाइयाँ ॥

Comment by Saarthi Baidyanath on January 4, 2014 at 9:52pm

महफ़िल तू आज फिर से सजाने की बात कर

हसरत जवा है पीने पिलाने की बात कर .....क्या आगाज़ किया है जनाब ..! बढ़िया शेर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 4, 2014 at 7:58pm

//महफ़िल तू आज फिर से सजाने की बात कर

हसरत जवा है पीने पिलाने की बात कर // बहुत बढ़िया शेर हुआ है आदरणीय डॉ आशुतोषजी बधाई आपको

Comment by Amod Kumar Srivastava on January 4, 2014 at 7:45pm

वाह ... ज़बरदस्त ... 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 4, 2014 at 6:33pm

आदरणीया कुंती जी ..आपका स्नेह मुझे यूं ही मिलता रहे ..सादर प्रणाम के साथ ..नव वर्ष की हार्दिक शुह्कम्नाओं के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 4, 2014 at 6:25pm

आदरणीय राज जी ..आपके उत्साहवर्धक शब्दों से मुझे नूतन लिखने के प्रेरणा मिलती है ..आपके स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद ..सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 4, 2014 at 6:22pm

आदरणीय श्यामजी ..हौसला अफजाई के लिए तहे दिल धन्यवाद ..सादर 

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