For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देहलीज़  -  लघुकथा -

देहलीज़  -  लघुकथा -

दिल्ली में जनवरी की कयामत की सर्दी वाली रात। रात के ग्यारह बजे के लगभग घर की डोर बेल बजी।  घर में दो बुजुर्ग प्राणी। दोनों ही सत्तर  पार। आमतौर पर नौ बजे तक रजाई में घुस जाते थे। गहरी नींद में थे। बार बार घंटी बजी तो शर्मा जी की आँख खुली तो उठकर द्वार खोलने चल दिये। खटर पटर की आवाज से तथा लाइट जलने से मिसेज शर्मा भी आँख मलते हुए उठ बैठी।

"सुनो जी, तुम रुको, मैं खोलती हूँ।"

वे थोड़ी मजबूत थीं। शर्मा जी दुबले पतले और बीमार  भी थे। वे रुक गये। मिसेज शर्मा ने डरते डरते द्वार खोला।

सामने उनकी इकलौती बेटी सपना  खड़ी थी।

"सपना, तू  इतनी रात में, वह भी अकेली बिना सामान?"

"माँ, मैं बर्बाद हो गयी। रमेश धोखेबाज़ निकला।"

"हुआ क्या यह तो बता?"

"आज उसने अपने बॉस को खाने पर बुलाया था। उसके बॉस ने शराब के नशे में मुझे पकड़ लिया। मैंने उसे धक्का मार दिया। वह गिर पड़ा। रमेश ने मुझ पर हाथ उठा दिया और मुझे बॉस के साथ सोने को मजबूर करने लगा। बड़ी मुश्किल से भाग कर आई हूँ।"

"अब यहाँ क्या लेने आई हो। कितना मना किया था। तुम्हारे सिर पर तो प्यार का भूत सवार था। हमारे विरुद्ध जाकर एक छोटी जाति वाले से कोर्ट मेरिज की। अब भुगतो।"

 इतना बोल कर मिसेज शर्मा द्वार बंद करने लगीं।

सपना ने रोते हुए माँ के पैर पकड़ लिये,"माँ मुझे क्षमा कर दो। मेरा और कौन है इस दुनियाँ में।"

"बिटिया, यह सब पहले सोचना था। हम लोग कुलीन ब्राह्मण हैं। समाज में थोड़ी बहुत इज्जत है| एक बार तुम अपनी मर्जी से यह देहरी लाँघ गयी। हमारी इज्जत को खूब चार चाँद लगा गयीं| अब बची खुची इज्जत को पलीता लगाने फिर आ गयी। ना बाबा, हमको माफ़ करो। अब इस देहरी में घुसने का हक़ खो चुकी हो तुम ।"

"माँ तुम इतनी कठोर कब से हो गयी?"

"जब से बिटिया माँ को ठुकरा कर चली गयी। अब जाओ यहाँ से। डूब मरो किसी नदी तालाब में।"

माँ बेटी के वार्तालाप से  ऊब चुके शर्मा जी झल्ला पड़े ,"जरा सी बात  का क्यों बतंगड़ बना रही हो? जो हो गया उस पर मिट्टी डालो | आने दो उसे अंदर। अब यही उसका घर है।"

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 509

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on January 16, 2019 at 5:41pm

हार्दिक आभार आदरणीय  Mahendra Kumar जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on January 16, 2019 at 5:40pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी।

Comment by Mahendra Kumar on January 16, 2019 at 11:18am

अच्छी लघुकथा है आदरणीय तेज वीर सिंह जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by नाथ सोनांचली on January 16, 2019 at 6:22am

आद0 तेजवीर सिंह जी सादर अभिवादन। अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें

Comment by TEJ VEER SINGH on January 12, 2019 at 5:20pm

हार्दिक आभार आदरणीय फूल सिंह जी।

Comment by PHOOL SINGH on January 10, 2019 at 11:57am

"तेजवीर साहब " सच्चाई को उजागर करती एक सूंदर रचना, बधाई स्वीकारें

Comment by TEJ VEER SINGH on January 9, 2019 at 1:27pm

हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोरे साहब जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on January 9, 2019 at 1:26pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।

Comment by vijay nikore on January 9, 2019 at 1:17pm

बहुत ही अच्छी लघु कथा लिखी है। बधाई आदरणीय तेज वीर सिंह जी

Comment by Samar kabeer on January 9, 2019 at 11:39am

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई शिज्जू शकूर जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। गिरह भी खूब हुई है। हार्दिक बधाई।"
23 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया याद तो उन्हें भी आया और शायर को भी लेकिन…"
49 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया इस शेर की दूसरी पंक्ति में…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. मतले की कठिनाई का अच्छा निर्वाह हुआ।…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई चेतन जी , सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "टपकती छत हमें तो याद आयी"…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उदाहरण ग़ज़ल के मतले को देखें मुझे इन छतरियों से याद आयातुम्हें कुछ बारिशों से याद आया। स्पष्ट दिख…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"सहमत"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। गुणीजनो के सुझावों से यह और निखर गयी है। हार्दिक…"
2 hours ago
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"मुशायरे की अच्छी शुरुआत करने के लिए बहुत बधाई आदरणीय जयहिंद रामपुरी जी। बदलना ज़िन्दगी की है…"
10 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, पोस्ट पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service