For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (तोड़ते भी नहीं यारी को निभाते भी नहीं)

(फा इलातुन _फइलातुन _फइलातुन_फेलुन)

तोड़ते भी नहीं यारी को निभाते भी नहीं l 
शीशए दिल में है क्या मुझको बताते भी नहीं l

ऐसे दीवाने भी हम दम हैं जो उलफत के लिए
गिड़ गिड़ाते भी नहीं सर को झुकाते भी नहीं l

मांगता जब भी हूँ मैं उनसे जवाबे उलफत
ना भी करते नहीं हाँ होटों पे लाते भी नहीं l

उनकी उलफत का यकीं कोई भला कैसे करे
वो मिलाते भी नहीं आँख चुराते भी नहीं l

हक़ गरीबों का जो बिन मांगे तू देता ज़ालिम
ये मुखालिफ तेरे आवाज़ उठाते भी नहीं l

किस तरह आगे बढ़े दरमियाँ भाई चारा
वो गले लगते नहीं मुझको लगाते भी नहीं l

उस दगा बाज़ की फितरत से जो वाक़िफ होते
दिल भी हम देते नहीं जान लुटाते भी नहीं l

उनको पैगामे वफ़ा कैसे भला दे कोई
रुख बदलते वो नहीं आँख लड़ाते भी नहीं l

जानते हम जो नहीं शौक़े सुखन गोई उन्हें
उनको तस्दीक ग़ज़ल अपनी सुनाते भी नहीं l

(मौलिक व अप्रकाशित

Views: 809

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 22, 2018 at 7:08pm

जनाब नवीन साहिब, ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 22, 2018 at 7:08pm

जनाब भाई पंकज कुमार साहिब , ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by Naveen Mani Tripathi on August 22, 2018 at 1:42pm

सम्भवतः यह तरही मिसरा पर ग़ज़ल लिखी गयी है जो समय से पूर्व ही पटल पर प्रकाशित हो गयी ।

   बहुत अच्छे शेर कहे हैं आपने । अच्छी ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई ।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 22, 2018 at 11:52am

एक अच्छी ग़ज़ल से मंच को उपलब्ध कराने के लिए हार्दिक आभार सर

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 22, 2018 at 11:43am

जनाब अजय साहिब, ग़ज़ल पर आपकीखूबसूरत प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I  

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 22, 2018 at 11:42am

जनाब भाई लक्ष्मण धा मी साहिब  , ग़ज़ल पसंद करने और आपकी हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by Ajay Tiwari on August 22, 2018 at 8:09am

आदरणीय तस्दीक साहब, खुबसूरत ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई. 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 21, 2018 at 7:25pm

आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सादर अभिवादन ।बेहतरीन गजल के लिए हार्दिक बधाई ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 21, 2018 at 11:05am

जनाब बसंत कुमार साहिब   , ग़ज़ल पसंद करने और आपकी हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 21, 2018 at 9:50am

वाह क्या कहने, लाजबाब अशआर आपके आनंद आ गया आदरणीय 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
10 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
13 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
Thursday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service