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ग़ज़ल - अच्छा हुआ जो पाँव से काँटा निकल गया।

बह्र- मफऊल फाइलात मफाईल फाइलुन

संगत खराब थी तभी गुन्डा निकल गया।
अब क्या बतायें हाथ से बेटा निकल गया।

घर से निकल गया मेरे इक दिन किरायेदार,
अच्छा हुआ जो पाँव से काँटा निकल गया।

जिसको खरा समझ के खरीदा था हाट से,
किस्मत खराब थी मेरी खोटा निकल गय।

देखो तो धूल झोंक अदालत की आँख में,
होकर बरी वो ठाठ से झूठा निकल गया।

हिन्दू का घर हो या कि मुसलमान का हो घर,
घर घर अलख जगाता कबीरा निकल गया।

चलते समय जो माँ ने मुझे दी थी कुछ रकम,
काम आया राह का मेरे खर्चा निकल गया।

ऐ शाख तुझसे अब मेरा रिश्ता नहीं रहा,
कहकर हवा के साथ में पत्ता निकल गया।

दुश्मन पे वार करना था तलवार से मग़र,
कमबख्त ऐसे वक्त में हत्था निकल गया।

कितने  दिनों से भूलभुलैया में थे फँसे,

रहमत हुई जो उसकी तो रस्ता निकल गया।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 18, 2018 at 7:08pm

खूब ग़ज़ल कही आदरणीय...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 18, 2018 at 5:31pm

आ. भाई राम अवध जी , सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by रक्षिता सिंह on February 18, 2018 at 2:54pm

आदरणीय राम अवध जी, नमस्कार।

बहुत ही खूबसूरत गजल ..मुबारकबाद कुबूल करें।

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on February 17, 2018 at 6:14am

आदर्णीया अनीता जी बहुत बहुत शूक्रिया।

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on February 16, 2018 at 9:48pm

आदर्णीय तस्दीक़ अहमद साहब ग़ज़ल पसन्दगी और इस्लाह के लिये शुक्रिया।

Comment by Anita Maurya on February 16, 2018 at 4:04pm

बहुत अच्छी ग़ज़ल

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 15, 2018 at 1:39pm

जनाब राम अवध साहिब ,सुन्दर ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । शेर3 सानी अगर यूँ करलें तो और अच्छा हो सकता है।

"किस्मत को क्या कहें वही खोटा निकल गया "

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on February 15, 2018 at 11:51am

आदर्णीय मोहम्मद आरिफ साहब हौसलाअफजाई के लिये शुक्रिया। वर्तनी में गल्तियाँ हुई हैं ।ध्यान आकर्षित करने के लिये पन: शुक्रिया

Comment by Mohammed Arif on February 15, 2018 at 7:57am

आदरणीय राम अवध जी आदाब,

                        बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल । सबकुछ समा दिया आपने इस ग़ज़ल में । शिकायत भी है , राहत भी है और ऐक्य की बात भी । वाह !  मज़ा आ गया । कुछ वर्तनीगत अशुद्धियाँ हैं । मेरी ओर दिली मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

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