For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे भीतर की नदी ( कविता)

कल कल बहती है नदी
मेरे भीतर भी कहीं

सूर्य की तपिश में
गर्म होती है ऊपरी सतह

चाँदनी रातों में चमक जाती है
श्वेत तारों को आग़ोश में लिए हुए

सावन में हरित होती मिट्टी
सिमट जाती हैं मुझमें कभी

फिसलती रेत कभी जम जाती है
पर बहता है जल प्रवाह

निरंतर कभी ऊचें पर्वतों से
कभी निचली सतह पर अपनी गति से

ज़मीन पर से देखती है आसमां को
अपने में बहुत कुछ समेटे हुए

छोटे कंकड़ , बड़ी चट्टानें
छोटे मुलायम पौधे ,अनेको जलजर

जो विचरते है यहाँ से वहां
भावनाओ का चोला ओढ़े

कभी उमड़ घुमड़ कर बादलों की तरह
कर देती बौछार,कभी अपने में ही

खींच लेती है अपनी तरफ़ आयी
विपदाओं से लड़ती है

कभी बाढ़ बन बहा देती है
हर मुश्किल को


टकराती है किनारे से लहरे
फिर लौट आती है वहीँ

उन्ही लहरों में अपने अस्तित्व के साथ
अपने लिए राह तलाशती

विलीन होने को उसके लिए
बने हुए सागर में ।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 597

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 16, 2017 at 7:05pm

धन्यवाद् आदरणीय महेंद्र कुमार जी | 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 16, 2017 at 7:04pm

धन्यवाद् आदरणीय श्याम नारायण जी | 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 16, 2017 at 7:04pm

धन्यवाद आदरणीय बृजेश कुमार ' ब्रिज' जी |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 16, 2017 at 7:02pm

धन्यवाद् आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ साहब | 

Comment by Mahendra Kumar on June 5, 2017 at 7:45pm

बहुत बढ़िया कविता है आ. कल्पना जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Shyam Narain Verma on June 3, 2017 at 12:31pm
सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 3, 2017 at 10:00am
वाह आदरणीया बहुत ही उत्तम सृजन.. हार्दिक बधाई
Comment by Mohammed Arif on June 3, 2017 at 9:42am
आदरणीया कल्पना भट्ट जी आदाब,बहुत ही बेहतरीन भावों की फुलवारी सजाई है आपने । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
2 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service