For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(अविजित राय की हत्या जैसे कायरतापूर्ण कृत्य ने दहला दिया...दुनिया भर के अल्पसंख्यकों को समर्पित कविता)
चेहरे-मोहरे
चाल-ढाल से जब 
पहचाना न जा सका 
तब पूछने लगा वो नाम 
और मैं बचना चाह रहा बताने से नाम 
फिर यूँ ही टालने के लिए 
लिया ऐसा नाम 
जो मिलता-जुलता हो उससे कुछ-कुछ 
जिसे कहने से
बचा जा सके पहचान लिए जाने से

लेकिन ये क्या 
अब पूछा जा रहा 
गोत्र/कुल/गाँव-घर 
यानी कि झूठ के पाँव नही थे 
लडखडा कर गिर पडा झूठ 
और मैंने झट सफाई दी 
ये मेरा पुकारू नाम है भाई 
जिससे दोस्त-अकारिब के बीच मुझे जाना जाता है 
जबकि मेरा नाम है इंसान 
उसने मुझे घूर कर देखा
ये भी कोई नाम हुआ...

उसकी आँखों के एक्स-किरणों ने 
मुझे भीतर तक भेद डाला 
मैं घिर चुका था 
अब वो अकेला न था
उसके साथ हुजूम था 
उनके दिलों में नफरत थी 
उनकी निगाहों में शो'ले थे 
उनकी बातों में गालियाँ ही तो थीं 
जिनके बीच मैं फंस चुका था 
बच निकलने की कोई न थी आस 
और मैं सोच रहा था 
इससे बेहतर था क्या सच बोलना 
ऐसे कब तक छुपाई जायेगी 
अपनी पहचान...

(मौलिक अप्रकाशित) 

Views: 647

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 15, 2015 at 11:05pm

बहुत खूब, आदरणीय अनवर सोहैल भाई !

Comment by anwar suhail on March 11, 2015 at 7:50pm

शुक्रगुज़ार हूँ आप सभी का...सादर 

Comment by maharshi tripathi on March 9, 2015 at 11:01pm

 आजकल सही पहचान बताने पर यही होता है ,,,,, कविता पर आपको बधाई आ.अनवर शुशील जी |

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 9, 2015 at 7:04pm

युग बदल गए!लोग नही बदले!सार्थक प्रस्तुति ,अभिनन्दन आदरणीय!!

Comment by Hari Prakash Dubey on March 8, 2015 at 12:14pm

आदरणीय अनवर  सुहेल जी, नाम और फिर उपनाम , समस्या सदियों से जीवित है ,बहुत सार्थक प्रस्तुति ,बधाई सर !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 8, 2015 at 11:43am

बहुत उम्दा, सर. मन को झकझोर देती रचना. बधाई आदरणीय ,अनवर साहब.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 7, 2015 at 9:11pm

मित्र अनवर  सुहेल जी

बहुत सुन्दर भावपूर्ण कथन i

Comment by भुवन निस्तेज on March 7, 2015 at 2:19pm
वर्तमान समाज का छिद्रान्वेषण...!
Comment by somesh kumar on March 7, 2015 at 9:57am

इससे बेहतर था क्या सच बोलना 
ऐसे कब तक छुपाई जायेगी 
अपनी पहचान...

सही बात की आप ने ,नाम और उसके बाद का उपनाम है  जिसमें इन्सान की पहचान गायब है |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
15 hours ago
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service