For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दंश (लघुकथा) रवि प्रभाकर

“बहन ! आज मुझे काम से लौटने में देर हो जाएगी, तब तक तुम मुन्नी को अपने पास ही रखना।" उस विधवा ने हाथ जोड़ते हुए अपनी पड़ोसन से आग्रह किया।
“पर अब तो तेरा देवर भी गाँव से आया हुआ है, तो फिर.....।”
”इसीलिए तो तुम्हारे पास छोड़ रही हूँ."

Views: 900

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Santlal Karun on July 20, 2014 at 9:25am

आदरणीय रवि प्रभाकर जी,

संदेशपरक व्यंग्य लघुकथा, हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 3:28am

भाई रविजी !  बहुत खूब !

हृदय से धन्यवाद और असीम शुभकामनाएँ


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 6, 2014 at 9:30pm

ओह ! मन मस्तिष्क सुन्न कर देती है यह लघुकथा, इस कामयाब कृति पर बहुत बहुत बधाई आदरणीय रवि भाई।

Comment by विनय कुमार on July 6, 2014 at 9:08pm

बहुत गहरा दंश , बधाई इस बेहतरीन लघुकथा के लिए ..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 3, 2014 at 4:02pm

आज बेटियाँ अपने ही घर में अपनों के साथ ही जिस असुरक्षा के साए में जी रही हैं....उस पर सार्थक सशक्त प्रस्तुति 

इस सारगर्भित लघुकथा का दंश बहुत दर्दनाक है...संवेदना को झकझोरने वाला है 

हार्दिक बधाई आ० रवि प्रभाकर जी 

Comment by savitamishra on July 2, 2014 at 10:23am

घटनाओ को देखते हुए सच में रिश्ते से विशवास उठ चला है ........बढ़िया 

Comment by कल्पना रामानी on July 1, 2014 at 10:14pm

सारपूर्ण श्रेष्ठ लघुकथा। बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by बृजेश नीरज on June 30, 2014 at 11:27pm
अच्छी लघुकथा। आपको बहुत बधाई।
Comment by Ravi Prabhakar on June 27, 2014 at 3:43pm

सभी महानुभावों का लघुकथा पर टिप्‍पणी हेतु धन्‍यवाद

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 27, 2014 at 12:46pm

समाज के स्थिति कितनी भयावह हो गयी है ..वर्तमान के परिदृश्य में पनपी असुरक्षा की भावना को इंगित करती इस शानदार लघु कथा के लिए तहे दिल बधाई सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"मुशायरे की अच्छी शुरुआत करने के लिए बहुत बधाई आदरणीय जयहिंद रामपुरी जी। बदलना ज़िन्दगी की है…"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, पोस्ट पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
11 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन आपका बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला मतला   उड़ने की ख़्वाहिशों…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया अभी ज़िंदा हैं मेरी हसरतें भी तुम्हारी…"
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
14 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया  टपकने जा रही है छत वो…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम जी मुशायरे में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई आपको"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय निलेश नूर जीआपको बारिशों से जाने क्या-क्या याद आ गया। चाय, काग़ज़ की कश्ती, बदन की कसमसाहट…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, मुशायरे के आग़ाज़ के लिए हार्दिक बधाई, शेष आदरणीय नीलेश 'नूर'…"
14 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"ग़ज़ल — 1222 1222 122 मुझे वो झुग्गियों से याद आयाउसे कुछ आँधियों से याद आया बहुत कमजोर…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"अभी समर सर द्वारा व्हाट्स एप पर संज्ञान में लाया गया कि अहद की मात्रा 21 होती है अत: उस मिसरे को…"
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service