हर जगह आग है, शोला है, कही प्यार नहीं है
सकून दे सके आपको,ऐसी कोई वयार नहीं है //
कितना संभल कर चलेंगे आप,अब गुल में
हर पेड़ अब खार है,कोई कचनार नहीं है //
हंसी मिलती है,अब सिर्फ तिजारत की बातों में
रिश्तों का महल बनाने, अब कोई तैयार नहीं है //
अश्क पोछना होगा अब आपको,अपने ही रुमाल से
पोछ दे आपका अश्क,अब ऐसा कोई फनकार नहीं है //
माँ ! लिखना भूल गई है अब मेरी कलम
शायद ,बेटे को अब माँ की दरकार नहीं है //
जी भर लूटो ,खाओ , इस…
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Added by baban pandey on July 1, 2011 at 11:59am —
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मिटटी ...
नर्म होती है
जब गीली होती है
पक जाती है वह
जब आग पर
रंग ,रूप आकार नहीं बदलती //
बांस ...
जब कच्चा होता है
जिधर चाहो ,मोड़ दो
पक जाने पर
नहीं मुड़ेगा //
आदमी ...
कब पकेगा
मिटटी की तरह
बांस की तरह
शायद कभी नहीं क्योकि
दिल तो बच्चा है जी //…
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Added by baban pandey on December 28, 2010 at 11:00am —
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माहिर होते है
भेड़ और गधे
एक लीक एक चलने में //
सुना है ---
अगर एक भेड़ कुए में गिरा
सब भेड़ उसी में गिरेंगे //
आज ----
कंक्रीट के जंगल में
रहनेवाला मानव
इसी भेडचाल की नक़ल तो कर रहा //
Added by baban pandey on December 19, 2010 at 5:49pm —
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नहीं नहीं ....
मैं दशरथ नहीं
जो कैकेयी से किये हर वादे
निभाता चलूँगा //
मैं .....
खोखले वादे करता हूँ तुमसे
मुझे
अपने राम को वनवास नहीं भेजना //
क्या हुआ
जो टूट गए
मेरे वादे
अपने दिल को
मोम नहीं
पत्थर बनाओ प्रिय //
Added by baban pandey on November 29, 2010 at 1:20pm —
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जैसे .......
पर्व -त्यौहार,
बना देते हैं,
हमारी जिन्दगी को,
मजेदार,
गरम - मसाले,
बना देते हैं,
सब्जियों को,
लज़्ज़तदार,
खिड़कियाँ,
बना देती हैं,
कमरे को,
हवादार,
ठीक वैसे ही,
अगर बच्चे हों समझदार,
और सजनी हो दिलदार,
तो,
सजन क्यों न बने,
ईमानदार ॥
Added by baban pandey on November 14, 2010 at 10:30am —
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मैंने फूलों को तोड़ा
सुखा दिया रखकर उसे
किताबों के दो पन्नों के बीच
फिर पंखुड़ी -पंखुड़ी अलग कर दी
फिर पैरो से कुचल दिया ॥
मगर ....
खुशबू नहीं मरी ॥
एक मैं हूँ ..दोस्तों
किसी इंसान के
ज़बान से शब्द फिसले क्या
तूफ़ान मचा देता हूँ
तुरंत अपने को
हैवान बना लेता हूँ ॥
Added by baban pandey on October 28, 2010 at 11:35am —
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थकती नहीं
पेड़ की जड़ें
पानी की खोज में
छू ही लेती है
भूमिगत जलस्तर ॥
मरने नहीं देती
अपनी जिजीविषा ॥
बखूबी जानती है वह
हर पत्ते को
हरियाली ही देना है
उसका काम ॥
अब .....
नहीं थकूगा
मैं भी जड़ बनूगा॥
Added by baban pandey on October 27, 2010 at 6:59am —
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राम थक चूके थे
रावण को बाण मारते -मारते
विभीषण ने बताया
उसकी नाभि में तो अमृत है
राम ने अमृत घट फोड़ दिया
रावण मारा गया ॥
तुम भी थक जाओगे
मेरे दोस्त !!!
सत्य को मारते -मारते
क्योकि ....
सत्य रूपी मानव के
अंग -अंग में अमृत -कलश है ॥
अगर , सत्य को
जिंदा भी दफ़न कर दोगे
मेरे दोस्त ... तो वह
कब्र से निकलकर भी दौड़ने लगेगा ॥
Added by baban pandey on October 12, 2010 at 4:41pm —
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आप प्रकृति की अनुपम रचना है
मगर ...
कृत्रिम प्रसाधनो का लेपन
बनावटीपन जैसा लगता है ॥
मैं आपको रंगना चाहता हूँ
प्रकृति के रंगों से ॥
मैं आपको देना चाहता हूँ
टेसू के फूलों की लालिमा
कपोलों पर लगाने के लिए ॥
मृग के नाभि की थोड़ी सी कस्तूरी
देह -यष्टि पर लगाने के लिए ॥
फूलों के रंग -बिरंगे परागकण
माथे की बिंदी सजाने के लिए ॥
और तो और
थोड़ी सी लज्जा मांग कर लाई है मैंने
आपके लिए
लाजवंती के पौधों से ॥
इसके…
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Added by baban pandey on October 1, 2010 at 9:10am —
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सहसा मेरी नज़र उस विज्ञापन पर पड़ी ,जिसमे क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी बता रहे थे ॥" सिर्फ १४११ बचे है "
उसके नीचे एक बाघ का फोटो ॥
जिन बाघों से हमारे दादा -दादी हमको डराते थे ,आज वे स्वम विलुप्त होने के कगार पर पहुँच चूके है ॥
भारत में बाघों के संरक्षण एवं प्रजनन को लेकर " टाईगर प्रोजेक्ट " की शुरुयात सन १९७३ में की गई । अब तक देश भर में २७ बाघ अभ्यारण्य काम कर रहे है ॥ वर्ष २०००-२००१ तक भारत के कुल ३७,७६१ वर्ग किलोमीटर में यह फैला हुआ है ।
मुझे कहते हुए गर्व हो रहा है कि बिहार…
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Added by baban pandey on September 18, 2010 at 11:22am —
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तुम मुझे जो भी कह लो
सुन लूंगा चुपचाप
चाहे मुझे तुम
पाखंडी /देशद्रोही /बलात्कारी
व्यवस्थाओ को तोड़ने वाला
या फिर उग्रवादी विचारों वाला कह लो
तुम जानते हो /इन बातों से
मैं तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता ॥
भला , सिर्फ विचारों के प्रहार से
क्या बिगड़ेगा तुम्हारा
जरा ,..एक चोर को चोर कह कर देखो
कुरूरता के भयानक पंजे
चीथड़े -चीथड़े कर देगी तुम्हें
अरे ..छोड़ो ....
सच का सामना कितने लोग करते है ॥
जानता हूँ…
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Added by baban pandey on September 13, 2010 at 10:45pm —
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कहते हैं
बड़ा दम होता है
गरीब की आंखों से
निकलने वाले आंसुओ में ॥
भष्म कर देते है
पत्थरो से बने महलों को ॥
ठीक उसी तरह
जैसे नदी का बहता
शीतल -कोमल जल
बालू कर देती है
तोड़ -तोड़ कर
पत्थरो को॥
Added by baban pandey on September 10, 2010 at 10:00am —
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मित्रों ,यह कविता बिहार में अक्टूबर -नवम्बर २०१० में होने वाले चुनाव के परिपेक्ष्य में लिखा गया है ॥लालटेन
तीर ,हाथ और कमल ...विभिन्न राजनितिक दलों के चुनाव चिन्ह है //
आ गया मदारी
बजा रहा है डुगडुगी
बंदरों में होने लगी है सुगबुगी
अनेकों हैं नुस्खे
बंदरों को रिझाने के
नज़र डालिएगा इन पर जरा हंस के ॥
पिछली गल्तियाँ अब नहीं करूगाँ
सवर्णों को भी टिकट दूगाँ॥
अपने शाले ने भोंका था भाला
लगाने चला था मेरे ही घर में ताला
इसीलिए घर…
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Added by baban pandey on September 8, 2010 at 8:52am —
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यह जानते हुए
सच की खुशबू
एक दिन फैलेगी ही
उर्जा व्यर्थ गंवाते है हम
ढकने में उसे
झूठ की चादरों से ॥
सच वह ओस है
जिसे प्रत्येक दिन
झूठ का तमतमाता सूरज
गायब कर देता है ॥
मगर पुनः
कल सबेरे
सच का ओस
फिर हाज़िर हो जाता है
अपने चमकीले रूप में ॥
मेरे दोस्त ...
सच को परास्त करना नामुमकिन है
छोड़ दो जिद
झूठ बोलने की ॥
Added by baban pandey on September 4, 2010 at 5:00pm —
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बन्दूक .....
एक भय है
एक डर है
लोगों को डराने की चीज है
मारने की नहीं ॥
इससे गोलीयाँ
शायद ही कभी निकलती हो ॥
जो इस बात को समझ गया
वह बन्दूक से नहीं डरता ॥
बल्कि ...
चाकू दिखाकर
छीन लेता है बन्दूक ॥
हमारे नक्सली
सरकारी बंदूकों की भाषा
अच्छी तरह पढ़ चूके है ॥
Added by baban pandey on September 4, 2010 at 2:00pm —
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मित्रों ......
हड़ताल एक यज्ञ है
कर्मचारियों द्वारा लगाया गया नारा
घी और हुमाद
हडताली नेताओं के भाषण
वेदों के मंत्रोच्चार
उठने वाला धुयाँ
वार्ता के लिए बुलाया जाना
और मांगों को मनवा लेना
अभिस्ट की प्राप्ति ॥
चिल्ला रहा था
कर्मचारियों का नेता
इसलिए दोस्तों
जोर-जोर से नारे लगाओ ॥
जब लाल कोठी के निक्क्मो का वेतन
तिगुना हो सकता है ....
हमलोगों का क्यों नहीं ॥
Added by baban pandey on August 28, 2010 at 5:39pm —
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लाखों पैदा हो रहे युवाओं में से
मैं भी एक युवा हू ॥
गन्ने के रस से नहा कर
और चासनी की क्रीम लगाकर
रोज सुबह -सुबह
बाहर निकलती है मेरी ख्वाबें॥
जब मैं अपने सारे सर्टिफिकेट
एक बैग में डाल कर
निकल पड़ता हू ...
साक्षात्कार के लिए ॥
खूब उडती है मेरी ख्वाबें
मानो कल ही खरीद लूँगा
पार्क स्ट्रीट में अपना एक बंगला
मारुती सुजुकी का डीजायर
सोनी बाओ का लैप -टॉप
ब्लैक -बेर्री का मोबाइल
और फिर चखने लगूगा
येलो चिली…
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Added by baban pandey on August 28, 2010 at 1:30pm —
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मित्रों .....
मैं कई दिनों से नहीं हंसा हू ...
हँसना चाहता हू
पूरे शरीर की ताजगी के लिए
लाफ्टर क्लब ज्वाइन किया
कोई फायदा नहीं हुआ ॥
कोई क्यों हंसेगा ......
सांसदों के वेतन तीन गुना हो जाने पर
रास्ट्र्मंडल खेलों की बदहाली पर
महिला आरक्षण बिल पास न होने पर
अभिनेत्रियो के बिकनी क्विन बनने पर
बाप -बेटे के साथ पीने पर
ट्रेन के आमने -सामने टक्कर हो जाने पर
कसाब /अफजल को अभी तक फांसी न होने पर
पाकिस्तान को बाढ़ मदद के ५० लाख…
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Added by baban pandey on August 26, 2010 at 6:21pm —
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जब वे जवान थे
वासना कुलांचे भरती थी
एक बदमास हिरन की तरह ॥
उनकी छुअन तो दूर
सिर्फ .....
यादों का झोंका
ला देता था उनमें
नई ताकत /नई उर्जा
पूरा शरीर तरंगित हो जाता था ॥
वासना की नदी पर तैरना
उनका शगल था ॥
आज वे बूढ़े है
कहते है ....
गर्म साँसे
स्पंदित नहीं करती उन्हें
यादें ....तो बस
सूखे फूल की पंखुडियो की तरह
जमींदोज़ हो रही है
एक -एक कर ॥
आलिंगन से भी
रोम-रोम पुलकित नहीं होता…
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Added by baban pandey on August 23, 2010 at 10:17pm —
1 Comment
राम और रावण
दोनों बसते है ...
मेरे /आपके हृदय में ॥
दोनों में चलता रहता है ...
एक युध्ध ...अहर्निश ॥
कभी राम सबल होता है
तो कभी रावण ॥
सुबह उठता हू ...
नित्य क्रिया कर
भगवान् की मूर्ति के सामने
आरती गाता हू
धुप जलाता हू ....
तब मेरा राम सबल रहता है
भिखारी को दान देना अच्चा लगता है
वृद्ध माता -पिता पूजनीय लगते है
सबसे प्रेम से बातें करता हू ....
जैसे -जैसे दिन बीतता है ...
झूठ /धोखा /बेईमानी…
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Added by baban pandey on August 21, 2010 at 2:08pm —
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