For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन को बांधना आसान नहीं

शब्दों की तरह
चाहता हू बांधना मन को भी
मगर मन ...
कौंधती है बिजली की तरह
बढती है लहरों की तरह
मन बाहर दौड़ने लगता है
ध्यान के दौरान
गंदे विचार कुलबुलाते रहते है ॥


बड़े ही द्वन्द में जीता है मन
आत्मा -परमात्मा के चक्कर में
गृहस्थ -वैराग्य के रास्तों पर
अपने -पराये की दहलीज पर
ठिठक जाता है मन ॥

खोये प्रेमी /खोया धन
पाने के लिए तपड़ता है मन ॥
सोचा था ...
बुढ़ापे के साथ
तन और मन ठंढा हो जाएगा ॥
मगर मन ....
अब भी लम्बी छलांगे लगाता है ॥

क्या मन की चंचलता को रोकना
संयम को पा लेना है ?
ईस्वर के करीब पहुचना है ?

Views: 434

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shaileshwar Pandey ''Shanti'' on September 25, 2010 at 6:50pm
BhaiJi, sharir buda hone se kya huaa... Dil me kuchh kar jane ki chahat hai to maan hamesh hi jawan rahega...bahut hi sundar rachana hi...Ma Saraswati sdaiv aap ka sath de...
Comment by baban pandey on August 10, 2010 at 1:21pm
गणेश भाई , सतीश भाई एवं मनोज भाई को हार्दिक अभिनन्दन
Comment by satish mapatpuri on August 9, 2010 at 4:49pm
खोये प्रेमी /खोया धन
पाने के लिए तपड़ता है मन ॥
सोचा था ...
बुढ़ापे के साथ
तन और मन ठंढा हो जाएगा ॥
मगर मन ....
अब भी लम्बी छलांगे लगाता है ॥
मन को क्यों ठंढा करना बब्बन जी, बुढापा आये तो आये, उसे हम क्यों महसूस करें, अच्छी रचना है, बधाई.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 9, 2010 at 5:50am
बब्बन भैया अच्छी रचना है, बिलकुल अध्यात्मिक सोच है, सारा खेल तो मन का ही है, मन शांत तो सारा दौलत है आप के पास, और मन अशांत तो सारा दौलत रह कर भी कुछ भी नही,
कुछ टाइपिंग की ग़लतिया परिलक्षित है सुधार करना चाहेंगे .....
हू - हूँ , पाने के लिए तपड़ता है मन, "तड़पता" ,ईस्वर - ईश्वर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
8 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
19 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
19 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
19 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service