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अगर सजनी हो दिलदार

जैसे .......
पर्व -त्यौहार,
बना देते हैं,
हमारी जिन्दगी को,
मजेदार,

गरम - मसाले,
बना देते हैं,
सब्जियों को,
लज़्ज़तदार,

खिड़कियाँ,
बना देती हैं,
कमरे को,
हवादार,

ठीक वैसे ही,
अगर बच्चे हों समझदार,
और सजनी हो दिलदार,
तो,
सजन क्यों न बने,
ईमानदार ॥

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 17, 2010 at 9:33am
बब्बन भईया, आपकी कविता सधारण बातों को भी धमाकेदार अंदाज मे बयां करती है, जन सामान्य से जुड़े मुद्दे आपके लेखन मे मिलते है जो अच्छी बात है, बधाई खुबसूरत काव्य कृति पर |

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on November 14, 2010 at 10:38pm
ये भी क्या खूब कही|

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