For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण रामानुज लडीवाला's Blog (188)

अनमोल खजाना

याचना है सांथियों मुझको राह दिखाना 
मकसद जिंदगी का मुझको भी बतलाना 
 

जिंदगी  का मकसद,किस राह पर है चलना 
तक़दीर में पाने को, क्या लिखा है मिलना 
 
अतीत की यादों को दिल में बसाता इंसान है 
अतीत के गहरे जख्म छुपा लेता…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 30, 2012 at 9:00pm — 4 Comments

कौन बचाए लाज

बेशर्मी का ओढा चोला,सारा सभ्य समाज,

चीखे अबला द्रोपदी, कौन बचाए  लाज//
 
महंगाई से तरस रहे, भुखमरी की मार 
भ्रूण हत्या कैसे रुके, पंगु हुई सरकार //
 
दोस्तों से गुठ रही, घर में रहे मन मार
भाई बंधू…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 26, 2012 at 5:30pm — 13 Comments

हिसाब का सिलसिला

हिसाब का सिलसिला 



उधार बेच उगाई करने, जब गया,
बोंला हिसाब मिलाया नहीं अभीतक |
समय हो गया दफ्तर बंद करो, 
बोंला रोकड़ का मेल हुआ नहीं अभीतक |
  
ओबीओ काव्य में कौन…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 24, 2012 at 11:30am — 4 Comments

श्रद्धाजलि -

श्रद्धाजलि -

(दीवाना रूप मस्ताना प्यार जिसका )
 
बसर करता रहा जो  जिंदगी-
अपनी अदा से,
लुटाता रहा प्यार जो,
अपनी नजर से,
चाहता रहा प्यार जिसका-…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 19, 2012 at 9:30am — 4 Comments

गृहस्थी का दायित्व

गृहस्थी का दायित्व 



चारो भाइयों में बड़े लडके नयन बाबू की माँ लड़को को बाहर खेलने नहीं निकलने देती थी, ताकि वे बिगड़ न जावें | अचानक माँ का देहांत हो गया | उस समय नयन बाबू 16 वर्ष और पिताजी 46 वर्ष के थे | पिता प्रभु व्यसायी और सामाजिक कार्यकर्त्ता थे | पिता ने २० वर्षीय विधवा से पुनर्विवाह कर लिया | अपनी माँ के नियंत्रण के कारण कभी घर से न निकलने…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 16, 2012 at 10:08am — 8 Comments

प्यार पूज्य हो जायेंगा

हे जलधि, जब कोई ग़ोताखोर
तुम्हारे गर्भ में घुस,
मोती चुग-
दूर हो जायेंगा,
प्यार को वासनामयी
आँखों से देखा जायेंगा |
अगर- ग़ोता लगा,
गर्भ में ही लीन हो जायेंगा,
प्यार पूज्य हो जायेंगा |
फूल-सा चेहरा खिलेगा(जन्मेगा)
चमन में खुशबु महकेगी
किसी को कोई
आपत्ति नहीं होगी |

- लक्ष्मण लडीवाला, जयपुर

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 5, 2012 at 11:30am — 5 Comments

चाहिए थोडा सा प्यार

चाहिए थोडा सा प्यार 

एक लड़की होती है माँ-बांप की जान 
स्त्री बन रखती अपने सुहाग का मान
माँ बन करती बच्चे का लालन-पालन 
जीवन भर रखती परिवार का ध्यान ||
 
संकट में हो जाती वह तुम पर…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 29, 2012 at 5:41am — No Comments

औरत की क़ुरबानी

औरत वही जो औरों के हित देती अपनी क़ुरबानी 
नारी जीवन शीतल सा पानी और चंदा सी चांदनी ||
 
औरों के हित रत, खुद का तन तपता रेगिस्तानी 
आदमी का भ्रूण सहर्ष सैहती दे अपनी बच्चेदानी ||
 
औरत  त्याग की मूरत, ढक घूँघट में अपनी…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 27, 2012 at 9:30am — 6 Comments

व्यंग रचना- अर्थ-तंत्र पर भारी

अर्थ-तंत्र पर भारी राज-तंत्र में गठबंधन सरकार,
गठबंधन-धर्म निभाने की मज़बूरी में यह सरकार |
 
डालर रुपये को मार रहा, ऊपर महंगाई की मार…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 26, 2012 at 7:30pm — No Comments

व्यंगात्मक दोहे- स्वर्ग-नरक

स्वर्ग-नरक 

 
जिस घर द्वेष-कलेश हो, वहाँ नरक का भान,  
जिस कुनबे में प्रेम है, वो है स्वर्ग समान //

 
जिल्लत की हैं जिंदगी, भोग रहे संताप
फिर भी तो आशीष ही, देते हैं माँ बाप //…



Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 23, 2012 at 6:46pm — No Comments

विकलांगता अभिशाप ? (निजी डायरी के आधार पर)

११ वी कक्षा उतीर्ण करने के बाद वर्ष १९६३ में मेरे पिताजी एवं बड़े भाई ने सोचा लक्ष्मण ने संस्कृत विद्यापीठ,मुंबई से प्रथमाँ परीक्षा भी पास की है, को औयुर्वेदिक महाविद्यालय में पढने हेतू दाखिला दिला देते है | वैद्य एवेम आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रोफेसर श्रीछाजू राम जी की सलाह अनुसार प्रवेश आवेदन भरकर साक्षात-कार के पश्चात प्रवेश सूची में नाम न देखकर,लक्ष्मण के पिता रामदासजी ने प्रिंसिपल एव आयुर्वेदाचार्य श्री रामप्रकाश स्वामी से मिले, तो उन्होंने बताया की जब हमें प्रवेश हेतु शारीरिक दक्ष…

Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 18, 2012 at 10:00am — 8 Comments

लम्बित न्याय (कहानी)

35 वर्ष की सेवा के बाद 31 जनुअरी ,2002 को कलक्टर कार्यलय में अधीक्षक पद से सेवा-निवृत ज्ञान स्वरुप भार्गव का कार्यलय में भव्य विदाई समारोह हुआ | स्वयं कलक्टर साहिब ने उनके कार्य की प्रशंसा की और उन्हें सफा, माला पहनकर स्वागत किया | कुछ साथी उन्हें घर तक छोड़ने आये, जहाँ द्वार पर परिवार के सदश्यों ने उनकी आरती उतार अन्दर ले गए| वहां स्वल्पाहार का आयोजन हुआ| ज्ञानस्वरूप ने अपने पोते-पोतियों,अपने बहिन-बहनोई और दोहिते को भेंट-उपहार देकर विदा किया|



दूसरे दिन से श्री भार्गव अपनी पेंशन…

Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 13, 2012 at 10:30pm — 2 Comments

पाप के भागीदार

खंडेला गाँव से गौरी गंगोत्री नगर उच्च सिक्षा हेतु आई जहां उसने विवेकानंद महाविद्यालय में दांखिला लिया | तीन वर्ष की अध्ययन अवधि में उसकी सुनीला के साथ मित्रता ही नहीं, बल्कि परिवार के लोगो के साथ भी अच्छा परिचय हो गया | धीरे धीरे सुनीला का भाई धर्मेन्द्र गौरी को चाहने लगा | धर्मेन्द्र के पिताजी प्रोफ. सोमेंद्रनाथ टेगोर महाविद्यालय से सेवा निवृत होगये | उन्होंने होनहार लड़की देखकर गौरी के पिता से अपने लडके धर्मेन्द्र का रिश्ता करने का प्रस्ताव् किया, जो गौरी के पिता ने गौरी की भावनाओ को देखते…

Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 6, 2012 at 5:30pm — 6 Comments

तीक्ष्ण और पवित्र बुद्धि

तीक्ष्ण और पवित्र बुद्धि 

तीक्ष्ण बुद्धि है कारगर, संसारी कांवे-दावे* में
क्षीण हो जाती है यह, सांसारिक भटकाव में |…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 4, 2012 at 7:16pm — 7 Comments

व्यंग रचना- अर्थ-तंत्र पर भारी

अर्थ-तंत्र पर भारी राज-तंत्र में गठबंधन सरकार,
गठबंधन-धर्म निभाने की मज़बूरी में यह सरकार |
 
ममता-सोनिया की डपट, कैसे करे दरकिनार,
उदासीन मनमोहन मौन हुए, संकट में सरकार…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 1, 2012 at 3:00pm — 16 Comments

क्षणिकाएँ

माधुर्य

(वाणी का माधुर्य)

वाणी का माधुर्य-

देता है जीवन को विस्तार 

जहाँ प्रेम है

वहां लेन-देन नहीं है

देना ही देना है

कोई व्यापार नहीं है |

.…

Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 27, 2012 at 4:00pm — 6 Comments

माँ की महिमा

मोहपाश

माँ की महिमा

माँ नहीं तो न घर न गाँव है 

माँ ही ममता की छाँव…

Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 16, 2012 at 10:08am — 6 Comments

सात जनम का सपना

आप में ही है यह सलीका,
जो कपडे भी- 
सहेजकर रखते हो |
एक थे मंत्री-
दिन में चार बार बदलते थे 
पत्रकार की नजर में आगये 
उनके दिन फिरगए-
मंत्री पद से चले गए…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 12, 2012 at 7:00pm — 5 Comments

एक आश्वासन भक्त का

मुझे सुनाई दी, बोली

मुझसे मेरी आत्मा बोली

पढ़ले पहले तू वेद, पुराण

या कुरान कलमां|

मै बैठा हूँ –

गिरजाघर और मंदिरों में, 

मिल जाएँगी परछाई-

गुरुद्वारों औ मस्जिदों में: 

कण कण में, ख्वाईशो में,

इश्क की फरमाईशो मे

प्यार दिल से करों तो –

मै मिलूंगा सोहणी-महिवाल में 

सच मानो मै मिलूँगा –

हीर-राँझा…

Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 10, 2012 at 11:30am — 2 Comments

Monthly Archives

2017

2016

2015

2014

2013

2012

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service