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लघुकथा सराहने के लिए हार्दिक आभार आदरनीया राजेश कुमारी जी | दरअसल ये घटना भी मेरे लघु भ्राता के साथ घटी ६५ वर्ष पूर्व की सच्ची घटना पर ही आधारित है | सादर नमन
हार्दिक आभार जनाब मो. आरिफ साहब ! जब समारोह ३१ में शीर्षक "फ़रिश्ता" देखा तो पहले यही लघुकथा सृजित की थी जो मेरे लघुभ्राता के साथ आज से 65 वर्ष पूर्व घटित सच्ची घटना पर आधारित है | किन्तु बाद में सोचा "मारने वाले से बचाने वाला बड़ा" पर कहानिया आम हो चुकी है | यही सोच समारोह में त्वरित ही दूसरी लघुकथा"उपयोगी वेबसाईट" सृजित कर पोस्ट की |
सादर नमन
बहुत अच्छी लघु कथा लिखी आदरणीय .एक बार जब मैं मुंबई में थी बिलकुल ऐसी ही घटना घटी थी आपकी लघुकथा को पढ़कर वो याद ताज़ा हो गई |बहुत बहुत बधाई आपको
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