गृहस्थी का दायित्व
Comment
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय रेखा जोशीजी
आदरणीय श्री अलबेला खत्रीजी, और सुरेन्द्र कुमार भ्रमर जी,
आदर.राजेश कुमारी जी, कहानी पसंद आई, मेरा उत्साह बढ़ा | आपने इसका उपसंहार लिख दिया-
आदरणीय लक्ष्मण जी ,बहुत ही मार्मिक अंत ,घर का मुखिया होने के नाते वह अपनी गृहस्थी को ठीक से संभाल नही पाया और अपना बेटा खो दिया |अच्छे लेखन पर बधाई
आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपकी पंक्तिया "अब पछताए होत क्या,जब चिड़िया चुग गई खेत "|कहानी का आपने मुझे सारांश बता दिया, हार्दिक धन्यवाद |
पिता प्रभु को अब भूल का भान हुआ कि मै बच्चो की परवरिश करने, और गृहस्थी संभालने कि जिम्मेदारी निभाने में लापरवाह रहा, यह इसीका परिणाम है | और 46 वर्ष कि उम्र में पुनर्विवाह कर बच्चो की
सौतेली माँ लानेके बजाय लडके का ही विवाह कर, बहु ले आता तो सुखी गृहस्थी का दायित्व निर्वाह करना ज्यादा ठीक रहता
आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत सुन्दर ..सार्थक और मार्मिक कहानी ...आँखें तो बाद में ही खुलती हैं पहले तो आत्म विश्वास खो भावावेश में बह जाता है आदमी ..लेकिन हर चीज का कुछ प्रभाव होता है इतना सहज नहीं ऐसे कृत्य को अमली जामा पहना जिन्दगी प्यार से काट लेना घर परिवार को ले के ....
is kahaani ne marm ko chhua.............
umda kahaani
__abhinandan !
एक परिवार के इर्द गिर्द घूमती कहानी है जिसमे बच्चे को बचपन में कठोर नियंत्रण सोतेली माँ का घर में आ जाना बच्चे में असुरक्षा और परिवार के प्रति विरक्ति के बीज पनपना ही कारण बन जाता है एक दिन उसकी मौत का
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