For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Abhay Kant Jha Deepraaj's Blog (29)

GHAZAL - 13

                     ग़ज़ल



इस  तरह  तोड़ा  हमारा   दिल    हमारे   प्यार   ने.|

जैसे  क  जीने  का  हम  से  ले  लिया  संसार   ने || 



जिंदगी  को   आज  जकड़ा,  इस  तरह  तूफ़ान  ने,

ले  लिया  आगोश  मैं  मुझे  दर्द  के  …

Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 14, 2010 at 9:30pm — 2 Comments

GHAZAL - 12

                               ग़ज़ल





आ  जाओ  हमारी  बांहों  में,   कुछ   प्यार   मोहब्बत   हो  जाये |

ये    प्यार   इबादत   होता   है,  आओ   ये   इबादत  हो   जाये ||



दुनिया  से  भला  क्या   घबराना, जलता  है  कोई  तो  जलने  दो.

आ  जाओ  मिला  लें  दिल  से दिल,  दुनिया से…

Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 13, 2010 at 12:30am — 1 Comment

GHAZAL - 10

                           ग़ज़ल





महबूब   मेरे   सूरत   तेरी,   मुझे   इतनी   प्यारी   लगती   है |

सौ  जन्मों  से  भी  पहले  की,  तेरी  -  मेरी   यारी   लगती   है ||



तेरा  प्यार  मेरी रग़ - रग़ में बसा है, बन के नशा हमराज़ मेरे,

एक  पल  की   भी  तन्हाई  मुझे,  कातिल …

Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 1:30pm — No Comments

GHAZAL - 4

                                   ग़ज़ल



छोटे  से  दिल  में  दुनिया  का,   दर्द   छुपाये  फिरता  हूँ |

आंसू  के   फूलों  से   अपनी,   लाश   सजाए   फिरता  हूँ ||



अपना  बनकर  दिल  को  लूटना,  है  दस्तूर ज़माने का,

मैं  ऐसे  ही  कुछ  रिश्तों  पे,  खुद  को  लुटाये फिरता हूँ…

Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 1:00pm — 1 Comment

GHAZAL - 3

                                 ग़ज़ल



हर  पल  दिल  ने  तुझे  पुकारा  है यूँ अय हमराज़ मेरे |

भींग   गए   हैं   रोते-रोते   आंसू   से   हर   साज़   मेरे ||



जी  करता  है -   इन  रश्मों  की  दीवारों  से  लड़ जाऊं,…

Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 12:30pm — 1 Comment

GHAZAL - 9

                                  ग़ज़ल



मित्रों , हमें ज्ञान का दीपक  घर-घर  आज  जलाना  होगा |

भटक  गयी है जो  मानवता ,  उसको  राह  दिखाना  होगा ||



दिल  से  दिल  को आज जोड़ना होगा हमको आगे बढ़कर,…

Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 2:00am — 1 Comment

GHAZAL - 2

                                ग़ज़ल



यारों ,   पापों  के  हिंडोले  की  यह  डोली   बहुत   बुरी   है |

होली  खेलो   मगर   खून  की  होली  यारों  बहुत  बुरी  है ||



तन से मानव बहुत मिलेंगे पर तुम बनना मन से मानव,

गोली  बनो  दवा  की …

Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 1:30am — 2 Comments

GHAZAL - 8

                       ग़ज़ल



मेरी  मौत  के  बाद  मेरा  गम,  तुझको  बहुत सताएगा |

मेरे  दिल  का  ये  भोलापन,   तुझको   बहुत   रुलाएगा ||


आज  शरारत  मेरी  तुझको,  शायद  बोझिल  लगती हैं ,

कल   मेरी   ख़ामोशी   का   वो,…
Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 10, 2010 at 9:00pm — 1 Comment

GHAZAL - 6

 

 

                                     ग़ज़ल

 

मैंने  दुनिया  की  दुश्मनी  देखी,  दोस्त  तू  भी  मुझे  भुला देना |

तेरे दिल को ये हक है चाहे तो,  मेरा   नाचीज़  दिल  जला  देना ||



तुझको हमराज़-हमनशीं कर के, मैंने खुशियों के ख्वाब देखे थे,

मुझसे गर भर गया हो…

Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 9, 2010 at 12:30am — 2 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
Friday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service