For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

                     ग़ज़ल

इस  तरह  तोड़ा  हमारा   दिल    हमारे   प्यार   ने.|
जैसे  क  जीने  का  हम  से  ले  लिया  संसार   ने || 


जिंदगी  को   आज  जकड़ा,  इस  तरह  तूफ़ान  ने,
ले  लिया  आगोश  मैं  मुझे  दर्द  के   मंझधार   ने ||


जीना है मुश्किल बहुत अब, जिंदगी है एक सजा,
साथ  छोड़ा  है  मेरा  हर  हाथ  और  हथियार   ने ||


थी  कभी  हसरत,   चमन   में  हों  बहारें फूल की,
पर  मुझे  ही  क़त्ल  कर  डाला  मेरे  गुलज़ार   ने ||


अब   सहारा  है  यही  गम  और यही गम मीत है,
प्यार  कह  कर  के  दिया  जो कुछ मुझे बाज़ार ने ||


मुझको  मेरे  दर्द   में   डूबा   हुआ  तुम   छोड़   दो,
दोस्ती  कर  ली  है  मुझसे,  मेरे  गम  के  हार  ने ||

                                 रचनाकार - अभय दीपराज

Views: 205

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 23, 2010 at 8:14pm
प्रिय मित्र गणेशजी बहुत-बहुत धन्यवाद, कि - आप ने मेरी रचना को पढ़ा और मेरे प्रयास को सराहा | आपका अभयदीपराज

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 19, 2010 at 12:22pm

जिंदगी को आज जकड़ा इस तरह तूफ़ान ने,
ले लिया आगोश मैं मुझे दर्द के मंझधार ने ||

 

दीपराज साहब बढ़िया ग़ज़ल पढ़ी है आप ने, सभी शे,र अच्छे लगे, ऊपर लिखा शेयर ज्यादा करीब लगा |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय अमित जी हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद। आपकी बात से पूर्णतया सहमत हूँ। संज्ञान के लिए…"
6 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"मुहतरम समर कबीर साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। कृपया छठे…"
27 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
29 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय शिज्जु 'शकूर' साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का…"
29 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
35 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय रवि शुक्ला साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, ज़र्रा नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
38 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"जनाब ज़ैफ़ साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, हौसला अफ़ज़ाई और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"जनाब यूफोनिक अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय Rachna Bhatia जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है मतले को छोड़कर सभी शे'र अच्छे हैं…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब तरही मिसरे पर ग़ज़ल के उम्द: प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। छोटी सी…"
1 hour ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय रवि शुक्ला जी हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब ग़ज़ल के उम्द: प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें "
2 hours ago

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service