नित्य प्रगति सोपान गढ़ें हम
वर्ष नवल शुभ मंगलमय हो ......
गत्य धुरी पर आगत नित नव
युग्म सतत, प्रति क्षण हो उत्सव,
सद्विचार सन्मार्ग नियामक
ऊर्ध्व करें मानवता मस्तक,
मिटे कलुषता का अँधियारा, हृदय ज्ञान से ज्योतिर्मय हो ......
नित्य प्रगति सोपान गढ़ें हम, वर्ष नवल शुभ मंगलमय हो ......
परिष्कार को प्रतिक्षण तत्पर
संकल्पित अभ्यास सतत कर,
नित्य ज्ञान हित सर्व समर्पित
क्षुद्र अहम् कर पूर्ण…
ContinueAdded by Dr.Prachi Singh on December 31, 2013 at 11:30am — 43 Comments
1 2 2 1 2 2 1 2 2 1 2 2
कहा कब कि दुनिया ये ज़न्नत नहीं है
तुम्हे पा सकें ऐसी किस्मत नहीं है //1//
मोहब्बत को ज़ाहिर करें भी तो कैसे
पिघलने की हमको इजाज़त नहीं हैं //2//
तो वादों की जानिब कदम क्यों बढ़ाएं
निभाने की जब कोई सूरत नहीं है. //3//
बहुत सब्र है चाहतों में तुम्हारी
नज़र में ज़रा भी शरारत नहीं है //4//
सुलगती हुई आस हर बुझ गयी, पर
हमें आँधियों से…
ContinueAdded by Dr.Prachi Singh on December 19, 2013 at 12:00am — 61 Comments
छंद त्रिभंगी
विधान : चार पद, दो दो पदों में सम्तुकांतता,
प्रति पद १०,८,८,६ पर यति,
पदांत में गुरु अनिवार्य
प्रत्येक पद के प्रथम दो चरणों में तुक मिलान
जगण निषिद्ध
यह जीवन मृण्मय , बंधन तृणमय , भास हिरण्मय , भरमाए
इन्द्रिय बहिगामी , कृत…
ContinueAdded by Dr.Prachi Singh on December 7, 2013 at 10:10pm — 12 Comments
भाव भँवर को पार कर , अर्पण कर सर्वस्व
जड़ता जो चेतन करे , उसका चिर वर्चस्व // 1 //
संवेदन से हीन जो , भाव भक्ति से मुक्त
प्रस्तर सम वह जड़ हृदय , अहंकार से युक्त // 2 //
मूढ़ व्यक्ति के मौन में , परिलक्षित अज्ञान
संत जनों के मौन का , मूल तत्व निज ज्ञान // 3 //
सजग बुद्धि को दृष्ट है , चित्त वृत्ति का नृत्य
ज्ञान अगन तप वृत्ति का , सधता है हर कृत्य // 4 //
नहिं अनंत में वृद्धि है , नहिं अनंत का…
ContinueAdded by Dr.Prachi Singh on December 5, 2013 at 3:00pm — 35 Comments
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