For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैंने केसर-केसर मन से रची रंगोली,
मैंने रेशम-रेशम बंधनवार सजाए,
कुछ महके कुछ मीठे से पकवान बना लूँ-
तुम आओ तो उत्सव जैसा तुम्हे मना लूँ...

 

कंगूरों तक रुकी धूप से कर मनुहारें

हर कोना घर-आँगन का मैं रौशन कर लूँ,

माँग हवाओं से लाऊँ खुशबू के झौंके

सावन की आकुलता इन आँखों में भर लूँ,

 

नम कर लूँ मैं दिल का रूठा-रूठा बंजर-

बो कर कुछ ज़ज्बात नये फिर उन्हें सम्हालूँ

तुम आओ तो...

 

अनदेखे-अनसुने ख्वाब सोये हैं दिल में

आहट तेरी पाकर लेते हैं अँगड़ाई,

जन्मों की शापित चुप्पी टूटी हो जैसे

सभी दिशाओं में गूँजे हैं बोल अढाई,

 

मनचाही दस्तक पर खोलूँ बंद किवाड़े-

ऐसा लेख नियति का मैं आखिर क्यों टालूँ

तुम आओ तो...

 

सच तो है खुशियों के संग-संग इस दिल में

कुछ डर भी हैं कुछ सकुचाहट भी पलती है,

प्रश्नों के उत्तर पाने की जल्दी क्या है

सदा पहेली बाँध साथ में हल चलती है,

 

तुम मेरे साँचे में बस मुझ सा ढल जाना

मैं खुद को साँचे में आज तुम्हारे ढालूँ

तुम आओ तो...

 

 मौलिक और अप्रकाशित 

~प्राची

Views: 562

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 12, 2019 at 9:54am

बहुत ही सुन्दर वाह आदरणीया...

Comment by Sushil Sarna on October 8, 2019 at 12:13pm

वाह आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी बहुत ही सुंदर,भावपूर्ण गीत का सृजन हुआ है। दिल से बधाई स्वीकार करें।

Comment by प्रदीप देवीशरण भट्ट on October 7, 2019 at 5:29pm

बहुत खूब प्राची जी सुंदर गीत रचना हुई बधाई।

Comment by Samar kabeer on October 7, 2019 at 8:07am

मुहतरमा प्राची सिंह साहिबा आदाब,बहुत सुंदर गीत हुआ है,पढ़ कर आनंद आ गया ,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

'बो कर कुछ ज़ज्बात नये फिर उन्हें सम्हालूँ'?

Comment by TEJ VEER SINGH on October 5, 2019 at 1:42pm

हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ प्राची सिंह जी।लाज़वाब प्रस्तुति।

अनदेखे-अनसुने ख्वाब सोये हैं दिल में

आहट तेरी पाकर लेते हैं अँगड़ाई,

जन्मों की शापित चुप्पी टूटी हो जैसे

सभी दिशाओं में गूँजे हैं बोल अढाई,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
7 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
8 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
9 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"//दोज़ख़ पुल्लिंग शब्द है//... जी नहीं, 'दोज़ख़' (मुअन्नस) स्त्रीलिंग है।  //जिन्न…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, बहतर है।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। आशा है कि…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service