For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अक्सर मुझसे पूछा करती.... डॉ० प्राची

सपनों में भावों के ताने-बाने बुन-बुन

अक्सर मुझसे पूछा करती...

बोलो यदि ऐसा होता तो फिर क्या होता ?... और मौन हो जाता था मैं !

 

उसकी एक हँसी पर जैसे

अपने दोनों पंख पसारे,

ढेरों हंस उड़ा करते थे

बहती निर्मल नदी किनारे,

सतरंगी आँखों में बाँधे पूरा फाल्गुन

अक्सर मुझसे पूछा करती...

अगर न मिल पाते हम-तुम तो फिर क्या होता ?... और कहीं खो जाता था मैं !

 

मन-जीवन की सारी उलझन

यहाँ-वहाँ की अनगिन बातें,

बदल-बदल तस्वीरें जब-तब  

प्रश्न पहेली भौचक रातें,

बतकहियों में बच्चों जैसी करती ठुनठुन

अक्सर मुझसे पूछा करती...

मैं तुमको अच्छी लगती तो फिर क्या होता ?... मन ही मन इतराता था मैं !

 

अपने मन की तस्वीरों में

जाने कब मुझको गढ़ लेती,

अपने ठहरे कोलाहल में

जाने कब मुझको पढ़ लेती,

शब्दों में झींगुर के जैसी घोले झुनझुन

अक्सर मुझसे पूछा करती

प्रेम गीत बन जाते तुम तो फिर क्या होता ?... और उसी को गाता था मैं !

 

साँझ-सवेरे जागे-सोए

बस मुझको सोचा करती थी,

मेरा दिल भी ज़रा टटोले

सोच मुझे कोंचा करती थी,

सर्द रात में नर्म सुबह के जैसी गुनगुन

अक्सर मुझसे पूछा करती

सपनों में मिलने आते तो फिर क्या होता ?... और बहुत मुस्काता था मैं !

 

मैं भी आदी बन बैठा था

उसकी इन बेतुक बातों का,

उसको साथी मान चुका था

सूने दिन सूनी रातों का,

गूँज-गूँज मेरे अन्तः में बस उसकी धुन

अक्सर मुझसे पूछा करती

सपना यदि यह सच होता तो फिर क्या होता ?... बस उसका हो जाता था मैं !

 

 

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 495

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 13, 2022 at 6:20pm

बहुत बढ़िया रचना आदरणीय डॉ साहिबा...हार्दिक बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 2, 2022 at 7:27pm

अभियक्ति को सराहने हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय डॉ संजीव कुमार वर्मा जी 

Comment by Dr Sanjeev Kumar Verma on December 2, 2022 at 11:54am
उत्कृष्ट रचना

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 29, 2022 at 4:35pm

आपका आदेश सर झुका कर मान्य आदरणीय समर कबीर जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 29, 2022 at 4:35pm

बहुत बहुत धन्यवाद आ० लक्ष्मण धामी जी 

Comment by Samar kabeer on November 29, 2022 at 2:44pm

मुहतरमा डॉ.प्राची सिंह जी आदाब, अच्छी रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

निवेदन है कि ओबीओ पर अपनी सक्रियता बढ़ाएँ ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 29, 2022 at 8:05am

आ. प्राची बहन, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
Thursday
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय भंडारी जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है सादर बधाई। दूसरे शेर के ऊला को ऐसे कहें तो "समय की धार…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार। लॉगिन पासवर्ड भूल जाने के कारण इतनी…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
May 31
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
May 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service