For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेम : विविध आयाम

प्रेम

ठहरा था

बन के ओस

तेरी पलकों पर...

उफ़ तेरी ज़िद

कि बन के झील

वो तुझे मिलता...

प्रेम 

काल कोठरी के

मजबूत दरवाजों की

झिर्रियों से झांकती

सुबह की

पहली सुनहरी किरण,

इस पर किसका पहरा?

प्रेम

आया तो था

दरवाज़े पर

लेकर अपने हज़ार सपने...

लाख मिन्नत कीं

इंगितों ने

बंद सांकल से,

अनसुनी दस्तक पे

वहीं हो के दफ्न सोया है...

प्रेम

प्रेम का पुण्य फलित

एक अंबर आसमानी

और उसमे घुले

दूर-दूर तक केवल तुम...

प्रेम

उत्तर दक्षिण का

मीलों का फासला

सात नदी पार तुम

पर कितने पास...

प्रेम

दूर हो सकोगे?

कैसे थमेगी -

मुझमें गूंजती तुम्हारी ध्वनि,

और

तुम्हारे अंतर्नाद में

कम्पित मेरा गुंजन ?

प्रेम

न पाने की आस

न खोने का डर

बस होने का आनंद

प्रेम

बंध से मुक्ति

मुक्ति से बंध

प्रेम

सम्राट की फ़कीरी

फ़कीरों का साम्राज्य

प्रेम

कहीं दिखता है क्या

-बंध दिखते हैं मुक्ति नहीं

कभी सुनता है क्या

-मौन में घुलो तो जानो

कभी छूता है क्या

-तब तो नश्वर है शाश्वत नहीं

ये हवाओं में घुला आएगा

संग तुम बह सको

तो बह जाना


प्रेम 
सुनो 

"कब मिलने आओगे? जान निकल जाएगी तब"
"तुम्हारी अर्थी को तो कन्धा दूँगा मैं"
"सच! वायदा करो"

"वायदा"
हे ईश्वर! इन आँखों को तब खुला रखना 


मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 530

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 20, 2019 at 4:45am

आ. प्राची बहन, बेहतरीन रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on November 16, 2019 at 2:18pm

मुहतरमा डॉ. प्राची सिंह जी आदाब, बहुत उम्द: रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

'सच! वायदा करो"

"वायदा"'

इस पंक्ति में 'वायदा' कोई शब्द ही नहीं है,सहीह शब्द है "वादा" देखियेगा ।

एक शिकायत ये है कि आपकी सक्रियता मंच पर रचना पोस्ट करने तक ही सीमित हो गई है,आप अपनी रचनाओं पर आई टिप्पणियों के उत्तर भी नहीं दे रही हैं,ये आपकी पिछली रचनाओं में देखा गया है,कृपया मंच पर अपनी सक्रियता बनाएँ ।

Comment by Usha on November 13, 2019 at 7:04pm

आदरणीय सुश्री डॉ प्राची सिंह जी, "प्रेम" जैसे विस्तृत भाव को आपने बड़ी ही ख़ूबसूरती से प्रस्तुत किया है। मान्य है कि इन विविध आयामो ने कभी ह्रदय को, मस्तिष्क को, भावों को, स्पर्श अवश्य किया होगा। ख़ूबसूरत रचना हेतु बधाई स्वीकार करें। सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मतभेद
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Monday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-169

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति और सार्थक प्रस्तुति हुई है ।हार्दिक बधाई सर "
Monday
Dayaram Methani commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर गीत रचा अपने। बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"सही कहा आपने। ऐसा बचपन में हमने भी जिया है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday
Sushil Sarna posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
Dharmendra Kumar Yadav posted a blog post

ममता का मर्म

माँ के आँचल में छुप जातेहम सुनकर डाँट कभी जिनकी।नव उमंग भर जाती मन मेंचुपके से उनकी वह थपकी । उस पल…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Nov 30

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service