Added by सतविन्द्र कुमार राणा on September 24, 2017 at 6:46am — 8 Comments
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नही हमको जो भाता क्यों करें हम
कोई झूठा बहाना क्यों करें हम
हमीं से रौशनी है चार सू जब
तो बुझने का इरादा क्यूँ करें हम
खमोशी की सदा अक्सर सुनी है
न सुनने का बहाना क्यूँ करें हम
भरोसा जब नहीं खुद पे हमें ही
*वफ़ादारी का दावा क्यूँ करें हम*
हो झगड़ा आपसी सुलझाएँ खुद ही
ज़माने में तमाशा क्यों करें हम
न होता झूठ का कोई ठिकाना
फिर उसको ही तराशा क्यूँ करें हम
मौलिक…
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on September 19, 2017 at 6:00am — 12 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on September 3, 2017 at 8:00am — 3 Comments
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