For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Baban pandey's Blog – August 2010 Archive (10)

हड़ताल एक यज्ञ है

मित्रों ......
हड़ताल एक यज्ञ है
कर्मचारियों द्वारा लगाया गया नारा
घी और हुमाद
हडताली नेताओं के भाषण
वेदों के मंत्रोच्चार
उठने वाला धुयाँ
वार्ता के लिए बुलाया जाना
और मांगों को मनवा लेना
अभिस्ट की प्राप्ति ॥

चिल्ला रहा था
कर्मचारियों का नेता
इसलिए दोस्तों
जोर-जोर से नारे लगाओ ॥

जब लाल कोठी के निक्क्मो का वेतन
तिगुना हो सकता है ....
हमलोगों का क्यों नहीं ॥

Added by baban pandey on August 28, 2010 at 5:39pm — 2 Comments

युवा मन की ख्वाहिसे

लाखों पैदा हो रहे युवाओं में से

मैं भी एक युवा हू ॥



गन्ने के रस से नहा कर

और चासनी की क्रीम लगाकर

रोज सुबह -सुबह

बाहर निकलती है मेरी ख्वाबें॥

जब मैं अपने सारे सर्टिफिकेट

एक बैग में डाल कर

निकल पड़ता हू ...

साक्षात्कार के लिए ॥



खूब उडती है मेरी ख्वाबें

मानो कल ही खरीद लूँगा

पार्क स्ट्रीट में अपना एक बंगला

मारुती सुजुकी का डीजायर

सोनी बाओ का लैप -टॉप

ब्लैक -बेर्री का मोबाइल

और फिर चखने लगूगा

येलो चिली… Continue

Added by baban pandey on August 28, 2010 at 1:30pm — 2 Comments

कोई मुझे हँसायेगा क्या

मित्रों .....

मैं कई दिनों से नहीं हंसा हू ...

हँसना चाहता हू

पूरे शरीर की ताजगी के लिए

लाफ्टर क्लब ज्वाइन किया

कोई फायदा नहीं हुआ ॥



कोई क्यों हंसेगा ......

सांसदों के वेतन तीन गुना हो जाने पर

रास्ट्र्मंडल खेलों की बदहाली पर

महिला आरक्षण बिल पास न होने पर

अभिनेत्रियो के बिकनी क्विन बनने पर

बाप -बेटे के साथ पीने पर

ट्रेन के आमने -सामने टक्कर हो जाने पर

कसाब /अफजल को अभी तक फांसी न होने पर

पाकिस्तान को बाढ़ मदद के ५० लाख… Continue

Added by baban pandey on August 26, 2010 at 6:21pm — 4 Comments

वासनात्मक प्रेम

जब वे जवान थे

वासना कुलांचे भरती थी

एक बदमास हिरन की तरह ॥



उनकी छुअन तो दूर

सिर्फ .....

यादों का झोंका

ला देता था उनमें

नई ताकत /नई उर्जा

पूरा शरीर तरंगित हो जाता था ॥



वासना की नदी पर तैरना

उनका शगल था ॥



आज वे बूढ़े है

कहते है ....

गर्म साँसे

स्पंदित नहीं करती उन्हें

यादें ....तो बस

सूखे फूल की पंखुडियो की तरह

जमींदोज़ हो रही है

एक -एक कर ॥

आलिंगन से भी

रोम-रोम पुलकित नहीं होता… Continue

Added by baban pandey on August 23, 2010 at 10:17pm — 1 Comment

रावण बार -बार जिन्दा क्यों होता है

राम और रावण

दोनों बसते है ...

मेरे /आपके हृदय में ॥

दोनों में चलता रहता है ...

एक युध्ध ...अहर्निश ॥

कभी राम सबल होता है

तो कभी रावण ॥



सुबह उठता हू ...

नित्य क्रिया कर

भगवान् की मूर्ति के सामने

आरती गाता हू

धुप जलाता हू ....

तब मेरा राम सबल रहता है

भिखारी को दान देना अच्चा लगता है

वृद्ध माता -पिता पूजनीय लगते है

सबसे प्रेम से बातें करता हू ....



जैसे -जैसे दिन बीतता है ...

झूठ /धोखा /बेईमानी… Continue

Added by baban pandey on August 21, 2010 at 2:08pm — 3 Comments

संग्राहलयो में बंद कागज़ के टुकड़े

वो ताड़ के पत्ते
वो भोज -पत्र
वो कपडे और कागज के टुकड़े
कितने खुशनसीब है ...
जिन्होंने अपने ऊपर
गुदवाया भारत का इतिहास ॥

वो साहिल के पंखों की कलम
वो दावात
और वो स्याही
आप कितने धन्य है ....
कितने ही क्रांतिवीरों ने
स्पर्श किया आपको ॥

छूना चाहता हू , मैं भी आपको
ताकि .....
क्रांतिवीरों का थोडा सा ओज
उनके क्रांतिकारी विचार
स्थानांतरित हो सके हममे
आप सहेज कर रखे गए है
शीशे के अन्दर संग्राहलयो में ॥

Added by baban pandey on August 20, 2010 at 10:57pm — 3 Comments

अकाल

अकाल ....

एक दिन में नहीं

कह कर आता है ...धीरे -धीरे ॥



बादल रुठ जाते है

जमीन दरारें दिखाती है

कमल कुम्भला जाते है

चिड़ियों को नहीं मिलता अन्न

बगुले को नहीं मिलते कीटें

धान के खेतों में ॥





सरकार कहती है

कोई नहीं रहेगा भूखा

विदेशों से मंगा लिया जाएगा

चावल -गेहू -दाल ॥



क्या सरकार मिटा देगी

रामू काका के चेहरे पर उगी झुरीयां

जो मुनिया की शादी

टल जाने से हो गई है गहरी ॥



क्या सरकार देख पा… Continue

Added by baban pandey on August 12, 2010 at 2:47pm — 2 Comments

६३ साल का जवान सांप

मेरे घर के उत्तर- पश्चिम कोने पर

रहता है एक सांप

हमारे घर जितना पुराना ही

६३ साल का ॥



तीन बार हमें डंस चूका है

१९६५, १९७२, और कारगिल में

यद्दिपी कि तीनों बार

वह भाग खड़ा हुआ

मगर विष -वृक्ष बो गया है ॥



उसने कश्मीर में अपने

छोटे -छोटे बच्चो को जन्म दिया है

फुफकारते है उसके बच्चे कश्मीर में ॥

कश्मीर के लोगो का जीना

उसने तबाह किया हुआ है ॥





अब मेरे पुरे घर में ....

उसके विषैले बच्चे फ़ैल रहे है… Continue

Added by baban pandey on August 12, 2010 at 2:30pm — 1 Comment

मन को बांधना आसान नहीं

शब्दों की तरह

चाहता हू बांधना मन को भी

मगर मन ...

कौंधती है बिजली की तरह

बढती है लहरों की तरह

मन बाहर दौड़ने लगता है

ध्यान के दौरान

गंदे विचार कुलबुलाते रहते है ॥





बड़े ही द्वन्द में जीता है मन

आत्मा -परमात्मा के चक्कर में

गृहस्थ -वैराग्य के रास्तों पर

अपने -पराये की दहलीज पर

ठिठक जाता है मन ॥



खोये प्रेमी /खोया धन

पाने के लिए तपड़ता है मन ॥

सोचा था ...

बुढ़ापे के साथ

तन और मन ठंढा हो जाएगा… Continue

Added by baban pandey on August 8, 2010 at 7:31am — 4 Comments

कारगिल युद्ध के एक सैनिक का अंतिम क्षण

लेह से कारगिल तक का राजमार्ग

फिजाओं में घुला था बारूदी महक

हो भी क्यों ना

यह युध्ध तीर -कमानों से नहीं

बोफोर्स्र तोपों का था ॥



अँधेरी रातों में

घावों से रिस रहा था मवाद

शरीर निढाल था

और पैर मानो

लोहे का बना था ....

मिलों तक थकान नहीं था

मगर कान जगे थे

और जब कान जागता हो

तो नींद कैसे आएगी ॥





धुल के गुब्बार

आखों में धुल नहीं झोक पाए

वह नेस्नाबुद करना चाहता था

चाँद -तारे उगे हरे झंडे

और फतह… Continue

Added by baban pandey on August 6, 2010 at 12:12pm — 2 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
28 seconds ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
14 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service