For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी's Blog – August 2012 Archive (9)

पांच मुक्तक

प्रेम मोबाइल में अगर,बैलेडिटी विश्वास हो,

नेटवर्क समन्वय हो पुख्ता,हृदय बैट्री चार्ज हो।

प्रतिपक्ष नम्बर रांग हो,एकांत स्पीकर साफ हो,

नहीं समस्या कोई यारोँ,प्रेम पगी तब बात हो॥



घायल नहीं हुआ कभी,जो तीर ओ तलवार से,

वो ही घायल हो गया,तेरे नजर के वार से।

पैदाइश से आज तक,जीत जिसकी हमसफर,

वो ही जीता जा चुका है,आज तेरे प्यार से॥



यार मैं तो रात का,शुक्र गुजार बन गया हूं,

वो बन गये हैं वादक,मैं सितार बन गया हूं।

बेदर्द बड़े प्यार से,बजाते हैं… Continue

Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 30, 2012 at 10:07pm — 4 Comments

काल का आवेग (गीत)

कठिन काल के आवेगों से,कभी नहीं बच पाओगे,

परिवर्तन ही सत्य जगत का,सच को कहा छुपाओगे।

लौह सदृश इस सुगढ़ देह को,देख नहीं इतराओ तुम,

जब आयेगी काल की आंधी,तिनके सम उड़ जाओगे॥



ध्वस्त हुआ रावण का सपना,जो त्रैलोक्य विजेता था,

अस्त हुआ साम्राज्य ब्रिटिश का,अस्त सूर्य ना होता था।

मिटा सिकंदर विश्व विजेता,नेपोलियन बर्बाद हुआ,

अहंकार यदि नष्ट हुआ ना,मिट्टी में मिल जाओगे॥



ईश अंश श्रीराम कृष्ण भी,छोड़ धरा को चले गये,

कालजयी वो भीष्म पितामह,शर-शैय्या से… Continue

Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 30, 2012 at 9:26pm — 4 Comments

मैं तो हस्ताक्षर करता था ? (लघुकथा)

सर! एक काम था आप से,अगर इजाजत हो तो कहूं-अर्जुन बाबू ने लेखपाल से कहा।

हां कहिए-वह उन्हें ऊपर से नीचे तक देखते हुये बोला।

सर! नसीबदार से कहिए कि वह इन कागजातों से अपने दस्तखत हटा ले-अर्जुन ने अपना चश्मा ठीक करते हुये कहा।

लेखपाल गरज पड़ा-बड़े बेवकूफ हो तुम?क्या बकवास करते हो?कहीं साइन भी परिवर्तनेबुल है,और वो भी डेड आदमी के?

अरे साहब! काहे को एंग्री होते हो(अपने आदमी की तरफ मुड़कर)तिलक ब्रीफकेस इधर ला न।हां सर! ये 50-50 के 10 बंडल हैं-अर्जुन बाबू ने ब्रीफकेस लेखपाल की ओर बढ़ाते… Continue

Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 30, 2012 at 8:42pm — 1 Comment

जीवन एक किताब है (दोहा छंद)

जीवन एक किताब है,तीन प्रमुख अध्याय।

बचपन यौवन वृद्धपन,कहैं सुकवि समुझाय॥



बचपन जीवन भूमिका,यौवन ललित निबंध।

वृद्धापन सारांश है,उत्तम काव्य प्रबंध॥



भाषा रूपी ज्ञान हो,रस चरित्र व्यवहार।

कर्म रीति से युक्त हो,अलंकार गुण भार॥



अनुशासन का व्याकरण,पद लालित्य अनूप।

छंद बद्ध हर पल रहे,कथ्य शास्त्र अनुरूप॥



जीवन पुस्तक में नहीं,यदि बातें उपरोक्त।

श्याम वर्ण पुस्तक लगे,जीवन जैसे शोक॥



अल्ट्रामार्डन हो गये,काव्य और सब… Continue

Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 29, 2012 at 10:04pm — 5 Comments

नवमन

नव मन की नव कल्पना,
नव अन्नत में उड़ने की है।
समस्त जगत के अंदर,
नव चेतना भरने की है॥

चाहता है यह नव मन,
मेरा संसार नवल हो जाये।
प्रेम क्षमा दया करुणा,
हर जन उर अंतर भर जाये॥

सब बन जायें अपने भाई,
ऊंच नीच भेद मिट जाये।
देश जाति धर्म भाषा के,
बंधन सारे टुट जायें॥

सब पर सब विश्वास करें,
अविश्वास की न हो रेखा।
इस मेरे नव मन ने भाई,
बस यही है सपना देखा॥

Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 25, 2012 at 1:02pm — 7 Comments

पापा गुड़िया क्यों नहीं सोती?

एक गुड़िया जो बहुत ही सस्ती है।लोग उसे खरीदते हैं चंद रुपयों में।बच्चों की खातिर या सजाने के लिए।वे गुड़ियां जो तराशबीनों के हाथ पड़ती हैं,उन्हें वे विविध रूपों में तराशते हैं और फिर उसे चौकीदार की नौकरी दे देते हैं,बिना प्रमाण पत्र के।वह गुड़िया किसी मेज या स्टूल या आलमारी पर रात-दिन खड़ी रहती है,पहरा देती है बिना वेतन के।

वहीं वे गुड़ियां जो नादान बच्चों के हाथ जाती हैं,उन्हें वे पटकते हैं,धूल पोतते हैं,शादी रचाते हैं,जूड़ा बांधते हैं और फिर अपन पास रखकर सोते हैं।उसे थपकी दे देकर सुलाते… Continue

Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 25, 2012 at 11:40am — No Comments

सुमन

ऐ सुमन ऐसे न घूरो,मेरा दिल जला जाता है,

मैं वो भूला राही हूं,जो भूला चला जाता है।

मैं तो बहता पानी हूं,है जिसका नहीं भरोसा,

कल वां था आज यहां कल,कहीं और चला जाता है....................॥



कांटों से है राह भरा,जिस पर चलना मजबूरी,

तेरा मेरे साथ चलना,ऐसा भी क्या जरूरी।

हो फूल नाजुक तुम हवा,के साथ हिल मिलकर रहो,

गर्दिशों में आफतों में,तू फिर क्यों चला जाता है...................॥



तू जा किसी का हार बन,शोभा बढ़ा दिलदार की,

या तू किसी मंदिर में… Continue

Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 24, 2012 at 5:57pm — 4 Comments

राजनीति दंश है

॥राजनीति दंश है॥
(घनाक्षरी छंद)
*****************************
ये राजनीति दंश है,कौरव कंस वंश है,
ईश यदुवंश अवतार होना चाहिए।
लुटेरे या भिखारी हैं,अथवा भ्रष्टाचारी हैं,
इनसे तो युद्ध आर पार होना चाहिए॥
क्रान्ति आज आहवान,तोड़ सब व्यवधान,
अब हिन्दुस्तान में हुंकार होना चाहिए।
भ्रष्टतंत्र ध्वस्त तंत्र,विकृत विक्षिप्त तंत्र,
गणतंत्र हंत पे प्रहार होना चाहिए॥

Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 21, 2012 at 11:33pm — 4 Comments

खून चूसना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है

जैसाकि हम सभी जानते हैं कि मच्छर खून चूसते हैं।बरसात के मौसम में गंदगी के कारण इनकी संख्या और भी बढ़ जाती है,ये हमें और भी पीड़ा पहुंचाने लगते हैं।कुछ समय पहले की बात है मच्छरों से पीड़ित कुछ उपद्रवी आन्दोलनकारी मच्छरों के खून चूसने की क्रिया पर प्रतिबंध की मांग करने लगे।वो "खून मत चूसो कानून" पारित करवाने की जिद पे अड़ गये।तत्कालीन कठमुल्ला भारत सरकार ने उन उपद्रवियों की जिद मानते हुए बिल पास कर दिया।मच्छरों के क्रिया-कलाप पर प्रतिबंध लगा दिया गया।उनकी गिरफ्तारियां होने लगी।उनसे सुरक्षा के लिए… Continue

Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 5, 2012 at 2:00pm — 14 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम साहिब को सादर अभिवादन "
1 hour ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"सबका स्वागत है ।"
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . रोटी

दोहा पंचक. . . रोटीसूझ-बूझ ईमान सब, कहने की है बात । क्षुधित उदर के सामने , फीके सब जज्बात ।।मुफलिस…See More
8 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा पंचक - राम नाम
"वाह  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहों का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।*तपते दुख की  धूप …See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service